कोरोनावायरस लॉकडाउन: पेट्रोल पंप मालिकों ने आर्थिक राहत की मांग की
हाइलाइट्स
कोरोनोवायरस महामारी ने भारत में कई उद्योगों को प्रभावित किया है लेकिन पेट्रोलियम उद्योग को शायद सबसे बड़ा झटका लगा है. मार्च में भारत में ईंधन की खपत 18 प्रतिशत कम हो गई जो पिछले एक दशक से अधिक समय में सबसे बड़ी गिरावट है. इसकी वजह है देशव्यापी लॉकडाउन जिसने अधिकतर आर्थिक गतिविधियों और यात्राओं पर रोक दी. इसका पेट्रोल पंप मालिकों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, जो अब सरकार से वित्तीय सहायता की मांग कर रहे हैं. ईटी ऑटो के अनुसार अकेले राजस्थान के पंप डीलरों का दावा है कि बिक्री 10 प्रतिशत तक गिर गई है, और राज्य में अब तक कुल 2,543 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है.
राजस्थान पेट्रोल डीजल एसोसिएशन (आरपीडीए) के अध्यक्ष सुनीत बागई ने कहा, " जयपुर जिले में 465 और राज्य में लगभग 4,300 पंप हैं. सालाना 8 करोड़ लीटर पेट्रोल और 560 करोड़ लीटर डीजल बेचा जाता है. पिछले 23 दिनों में पेट्रोल में 343 करोड़ रुपये और डीजल में 2,200 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ है."
पिछले सप्ताह यह बताया गया कि भारत के पेट्रोलियम उत्पाद की खपत मार्च में 17.79 प्रतिशत घटकर 16.08 मिलियन टन रह गई, क्योंकि डीजल, पेट्रोल और विमानों के टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की मांग गिर गई. डीजल की मांग 24.23 प्रतिशत घटकर 5.65 मिलियन टन रह गई जबकि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए पेट्रोल की बिक्री 16.37 प्रतिशत घटकर 2.15 मिलियन टन रह गई. इसका कारण था अधिकांश कारों और दोपहिया वाहनों को सड़क से हट जाना. हालांकि, इस तथ्य को देखते हुए कि लोग घर के अंदर रह रहे हैं, मार्च 2020 में रसोई गैस या एलपीजी की बिक्री 1.9 प्रतिशत बढ़कर 2.31 मिलियन टन हो गई.