IIT दिल्ली के थिंक टैंक ने 1948 फोक्सवैगन बीटल को एक इलेक्ट्रिक कार में बदला
हाइलाइट्स
सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर रिसर्च ऑन क्लीन एयर (सीईआरसीए), जो आईआईटी दिल्ली में एक अकादमिक थिंक टैंक है, ने 1948 फोक्सवैगन बीटल को इलेक्ट्रिक कार में तबदील कर दिया है. आईआईटी दिल्ली ने कार के केवल छोटे-मोटे पार्ट्स के अलावा इंजन को बदला है. वाहन में बदलाव इस तरह किए गए हैं कि अगर ज़रूरत हो, तो फिर से पेट्रोल इंजन को कार में फिट किया जा सकता है. इससे पहले आईआईटी दिल्ली ने डीज़ल जनरेटर की जगह फ्लो बैटरी इस्तेमाल करने का काम किया था और इसका एक काम करने वाला प्रोटोटाइप भी दिखाया था.
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अगर ज़रूरत हो, तो फिर से पेट्रोल इंजन को कार में फिट किया जा सकता है.
प्रोफेसर वी रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्ली ने कहा,“ई-मोबिलिटी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में चर्चा का विषय रही है और ई-मोबिलिटी को अपनाने की जरूरत ही नहीं है, बल्कि पिछली आधी सदी से ग्रह वाहनों के प्रदूषण से हुए नुकसान की भरपाई भी करनी है. भारतीय स्टार्टअप इस क्षेत्र में विशेष रूप से बैटरी तकनीक और चार्जिंग में क्रांति ला रहे हैं, वह समय दूर नहीं जब भारत भी ईवी राजधानियों की लीग में शामिल हो जाएगा.”
इलेक्ट्रिक में बदलने से बेहतर टॉर्क मिलता है और इससे क्लासिक की उम्र भी बढ़ती है.
हेरिटेज मोटरिंग क्लब ऑफ इंडिया के सचिव दिलजीत टाइटस ने कहा," क्लासिक कार को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलना एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर अगर क्लासिक में इंजन नहीं है या गलत इंजन है जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता है. इलेक्ट्रिक में बदलने से बेहतर टॉर्क मिलता है और इससे क्लासिक की उम्र भी बढ़ती है. पश्चिमी देशों में हजारों क्लासिक्स को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला गया है. मैं भी इस महीने अपने क्लासिक्स में से एक को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने के लिए भेजने की योजना बना रहा हूं ताकि प्रदूषण को कम करके और स्वच्छ तकनीक का उपयोग करके ड्राइविंग का आनंद लिया जा सके.”