सरकार ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले बोर्ड बनाने के लिए Rs. 76,000 करोड़ की योजना को मंजूरी दी
हाइलाइट्स
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में सेमीकंडक्टर चिप और डिस्प्ले बोर्ड बनाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को मंजूरी दे दी है. पीएलआई योजना के तहत अगले 5 से 6 सालों में देश में सेमीकंडक्टर निर्माण में ₹76,000 करोड़ (10 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के निवेश का अनुमान जताया गया है. इस योजना के बारे में बोलते हुए, दूरसंचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इससे माइक्रोचिप्स के डिजाइन, निर्माण, पैकिंग और टेस्टिंग में मदद मिलेगी. साथ ही इससे ढांचा बनेगा और इलेक्ट्रॉनिक सामग्री के निर्माण में एक नए युग की शुरुआत होगी.
वैष्णव ने कहा दुनिया भर में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में करीब 20 फीसदी इंजीनियर भारतीय है. इस संख्या को बढ़ाने के लिए 85 हज़ार इंजीनियरों के लिए 'चिप्स टू स्टार्टअप' (C2S) प्रोग्राम बनाया गया है जिसमें बी-टेक, एम-टेक और पीएचडी इंजीनियर्स को तैयार किया जाएगा.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक, टाटा समूह भी सेमीकंडक्टर चिप कारोबार में उतर रहा है और सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण प्लांट लगाने के लिए $ 300 मिलियन तक का निवेश करने के लिए तीन राज्यों के साथ बातचीत कर रहा है. एक सरकारी सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि इज़राइल के टॉवर सेमीकंडक्टर, ऐप्पल के कॉंट्रैक्ट निर्माता फॉक्सकॉन और एक सिंगापुर स्थित कंसोर्टियम ने भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने में रुचि दिखाई है. सूत्र ने कहा कि वेदांता समूह भी भारत में एक डिस्प्ले यूनिट स्थापित करने का इच्छुक है.
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पीएलआई योजना को एक ऐसे समय में लाया गया है जब पूरी दुनिया की कंपनियां सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही हैं. भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए इस पीएलआई योजना से देश के ऑटो सेक्टर को काफी मदद मिलने की उम्मीद है. योजना को भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए नवंबर 2020 में घोषित की गई ₹50,000 करोड़ की पीएलआई योजना के साथ जोड़ा जाएगा.