दो दशक में भारतीय ऑटो जगत पर छाई सबसे बड़ी मंदी का गवाह रहा साल 2019
हाइलाइट्स
पिछला साल भारतीय ऑटो सैक्टर के लिए काफी बुरा साबित हुआ है और 2019 में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने बिक्री में भारी कमी दर्ज की है. पैसेंजर वाहनों में कारों, एसयूवी, यहां तक कि दो-पहिया वाहनों की बिक्री में दो दशकों की सबसे बड़ी मंदी दर्ज की गई. आर्थिक मंदी के अलावा भारतीय कॉर्पोरेट सैक्टर, फायनेंस इशु, इलैक्शंस और नेगेटिव बाइंग सेंटिमेंट का पिछले साल ऑटो जगत को गर्त में ले जाने का करण माना जा रहा है. लगभग हर निर्माता कंपनी इस मंदी से साल भर जूझती रही, वहीं बाज़ार के नए खिलाड़ी किआ मोटर्स और MG मोटर्स ने इस कदर नीचे गिरते बाज़ार में भी बेहतर बिक्री का आकड़ा कायम किया है.
2019 में वाहनों की बिक्री सबसे कम अगस्त में रही जो एसआईएएम द्वारा जारी आंकड़ो में सामने आया था. अगस्त 2018 में बिकी 2,87,198 यूनिट के मुकाबले अगस्त 2019 में इंडस्ट्री ने कुल 1,96,524 वाहन बेचे जो 31.57% की भारी कमी को दर्शाता है. बता दें कि सारे कयासों को दरकिनार करते हुए मंदी ने 2019 के त्यौहारों के सीज़न को भी अपनी चपेट में ले लिया जब ऑटो इंडस्ट्री सबसे ज़्यादा कमाई करती है और ग्राहक भी सबसे ज़्यादा बाज़ार में इसी समय दिलचस्पी दिखाते हैं. भारी छूट देने के बाद भी निर्माता कंपनियों की बिक्री में बहुत बदलाव नहीं आया है और दिसंबर 2019 में जारी किए गए बिक्री के आंकड़े भी ज़्यादातर नकारात्मक ही दिखे हैं.
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दिसंबर 2019 के आंकड़े बताते हैं कि बिक्री में अब भी निर्माता कंपनियां गिरावट ही दर्ज कर रही हैं, इन कंपनियों में टाटा मोटर्स ने जहां पिछली साल इसी समय के मुकाबले कुल बिक्री में 12% की गिरावट दर्ज की है, वहीं टोयोटा ने घरेलू बाज़ार में दिसंबर 2019 में सिर्फ 6,544 यूनिट ही बेची हैं जिससे इस महीने उनकी बिक्री 45% गिर गई है. हालांकि मारुति सुज़ुकी ने किसी तरह इस महीने बिक्री में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की है. इसके पीछे की बड़ी वजह BS4 से BS6 इंधन नियामों का लागू होना है क्योंकि ऐसे समय में ग्राहक भी वाहनों की खरीद को थोड़ा आगे बढ़ाने का मन बना लेते हैं, हालांकि बहुत सी कंपनियां अभी अपने वाहनों पर काफी अच्छे डिस्काउंट्स उपलब्ध करा रही हैं.