टू-व्हीलर कंपनियों के पास Rs. 4,600 करोड़ का BS4 स्टॉक बाकी, 1 अप्रैल है डेडलाइन
हाइलाइट्स
भारत में कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार द्वारा लॉकडाउन की स्थिति पैदा की गई है जो घरेलू टू-व्हीलर बाज़ार को बुरी तरह प्रभावित कर रही है. फिलहाल बाज़ार बंद हैं और लोग भी अपने घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं, ऐसे में टू-व्हीलर्स बेच पाना लगभग असंभव सा दिख रहा है. भारत सरकार ने BS4 इंधन वाले वाहनों को BS6 में बदलने के लिए डेडलाइन भी निभारित कर रखी है जो 1 अप्रैल 2020 है, इसका मतलब सभी कंपनियों को अपना BS4 बाइक्स का स्टॉक 31 मार्च से पहले बेचना अनिवार्य है. भारत में निर्माता कंपनियों के पास कुल 4,600 करोड़ रुपए का BS4 स्टॉक बाकी रह गया है जिसके बिकने की फिलहाल तो कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है. इसके अलावा टू-व्हीलर बाज़ार और डीलरशिप द्वारा इन बाइक्स पर भारी छूट और ऑफर्स दिए जा रहे हैं जिससे बची हुईं लगभग 8,35,000 यूनिट दो पहिया वाहनों को बेचा जा सके.
सभी मुख्य शहरों में ग्राहक इस समय डीलरशिप पर जाने से कतरा रहे हैं और इनके शोरूम में पहुंचने की संख्या लगभग शून्य हो चुकी है. इनमें से कई शहरों में लॉकडाउन और कुछ शहरों में कर्फ्य लगा हुआ है और सरकार नागरिकों के घर से बाहर ना निकलने की अपील कर रही है. ऐसी स्थिति के चलते हीरो मोटोकॉर्प और होंडा मोटरसाइकल एंड स्कूटर्स इंडिया जैसी FADA कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है जिसमें 31 मार्च 2020 की तय डेडलाइन को आगे बढ़ाने की बात कही गई है, इससे निर्माता कंपनियों को अपने BS4 वाहनों का स्टॉक खत्म करने का समय मिल जाएगा.
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इस साल जहां पहले ही ऑटोमोबाइल बाज़ार की स्थिति शुरू से ही काफी खराब रही है, वहीं कोरोना के चलते इसके और बदतर होने का अनुमान लगाया जा रहा है. डीलरशिप इससे बहुत प्रभावित हुई हैं जिसे लेकर कार एंड बाइक ने फैडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशन (FADA) से BS4 इन्वेंटरी के बारे में बात की है. एक प्रवक्ता ने बताया कि, “भारत की सभी डीलरशिप पर टू-व्हीलर इन्वेंटरी 8,35,000 यूनिट है जिसकी लागत लगभग 4,600 करोड़ रुपए है.”
ICRA में काम करने वाले ऐनालिस्ट शमशेर दीवान ने कहा कि, “BS6 डेडलाइन की बात करें तो इसपर सरकार की ओर से किसी राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती. इसके लिए कुछ विकल्प ज़रूर उपलब्ध कराए जा सकते हैं मसलन, ओईएम सभी BS4 वाहनों को वापस बुलाकर नेपाल और अफ्रीका जैसे देशों में निर्यात कर सकते हैं. इसके अलावा कंपनियां अपने BS4 टू-व्हीलर्स को वापस बुलाकर उन्हें BS6 मानकों में बदल सकती हैं. इन सभी विकल्पों में निर्माता कंपनियों का नुकसान होगा क्योंकि दोनों परिस्थितियों में वाहन की कीमत में इज़ाफा होगा. इसमें सबसे अच्छा रास्ता यही है कि इन वाहनों को विदेशी बाज़ार में निर्यात किया जाना चाहिए.”