हार्ली-डेविडसन ने लिया भारत में कामकाज बंद करने का फैसला, जानें क्या है वजह
हाइलाइट्स
हार्ली-डेविडसन ने भारत में मोटरसाइकिल की बिक्री और उत्पादन बंद करने का फैसला कर लिया है. इस आईकॉनिक अमेरिकी बाइक निर्माता ने अपने कर्मचारियों को साल 2020 में 75 मिलियन डॉलर की लागत वाले पुनर्गठन की जानकारी दी है जिसमें कंपनी द्वारा भारत में व्यापार समेटने की बात भी शामिल है. कंपनी ने एक वक्तव्य में कहा है कि इस फैसले के बाद कंपनी के लगभग 70 कर्मचारियों को निकाला जाएगा. भारतीय बाज़ार को हार्ली-डेविडसन का अलविदा करना कंपनी की रीवायर नीति का हिस्सा है जिसे हार्ली-डेविडसन के प्रेसिडेंट, चेयरमैन और सीईओ योकेन ज़ाइट्स ने तैयार किया था. हार्ली-डेविडसन की उत्पादन फैसिलिटी हरियाणा में थी. अनुमान है कि ब्रांड का पुनर्गठन अगले 12 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.
इस खबर को लेकर कार एंड बाइक हार्ली-डेविडसन इंडिया पहुंचा, लेकिन हमें कोई आधिकारिक बयान कंपनी से नहीं मिल पाया है. पिछले कुछ सालों से बिक्री को लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में हार्ली-डेविडसन पर दबाव बना हुआ था. भारत इनमें से एक बाज़ार है जहां कंपनी ने कामकाज बंद कर दिया है जहां कंपनी 2009 से मौजूद है और डीलरशिप जुलाई 2010 से शुरू की गई थी. पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने भारतीय बाज़ार में 2,500 मोटरसाइकिल बेची हैं, वहीं अप्रैल-जून 2020 में कंपनी भारत में सिर्फ 100 मोटरसाइकिल बेच पाई है जिससे हार्ली के लिए सबसे खराब बिक्री वाले बाज़ारों में देश का नाम भी आ चुका है.
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इस साल की शुरुआत में ही हार्ली-डेविडसन के प्रेसिडेंट, चेयरमैन और सीईओ पद के लिए मैट लेवटिच की जगह योकेन ज़ाइट्स ने संभाली है. लेवटिच इस पद पर 26 साल से बने हुए थे और पिछले कुछ सालों से ही कंपनी की बिक्री में गिरावट दर्ज की जा रही है. इसके पद से हटाए जाने के बाद कंपनी नई नीति के साथ बिक्री में सुधार की उम्मीद कर रही है. ज़ाइट्स द्वारा तैयार किए रीवायर प्लान में दुनिया के लगभग 50 बाज़ारों में हार्ली-डेविडसन के उत्पादों की दोबारा समीक्षा की जा रही है, खासतौर पर पूर्व अमेरिका, यूरोप और एशिया पैसिफिक के लिए, जहां कंपनी की बिक्री अच्छी है और जिन बाज़ारों में संभावनाएं भी बेहतर हैं. ऐसे में दुनिया के सबसे बड़ा दो-पहिया बाज़ार को ब्रांड अलविदा कहने वाला है.