हार्ली-डेविडसन इंडिया के डीलर कंपनी के ख़िलाफ तलाश रहे हैं कानूनी विकल्प
हाइलाइट्स
भारत में हार्ली-डेविडसन डीलरों ने अमेरिकी मोटरसाइकिल ब्रांड के भारतीय बाज़ार में कामकाज रोकने के फैसले के खिलाफ बात की है. डीलरों का कहना है कि हार्ली-डेविडसन ने उन्हें बिना किसी दिशा के छोड़ दिया है, साथ ही उन्हें दिया गया मुआवज़ा उम्मीदों से काफी कम है. 33 हार्ली-डेविडसन डालरों ने किए गए निवेश की तुलना में मिलने वाले मुआवज़े को अनुचित बताया है. डीलरों का कहना है कि हार्ली-डेविडसन ने कभी भी उन्हें भारतीय बाजार से बाहर निकलने की अपनी योजना के बारे में सूचित नहीं किया, और उन्हें केवल मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से समाचार के बारे में पता चला.
33 हार्ली-डेविडसन डालरों ने किए गए निवेश की तुलना में मिलने वाले मुआवज़े को अनुचित बताया है.
डीलर अब कह रहे हैं कि वह अब कानूनी विकल्प भी तलाश रहे हैं और उन्होंने इस काम के लिए AZB और पार्टनर नाम की कानूनी फर्म को नियुक्त किया है. "जिस पल से भारत में कंपनी ने कामकाज शुरु किया है, यह कई तरह से हम में से कई लोगों के लिए एक भावनात्मक यात्रा रही है. हम में से कई ख़ुद हार्ली-डेविडसन राइडर्स भी रहे हैं, हमने कभी नहीं सोचा था कि यह यात्रा इस तरह से अचानक समाप्त होगी." गौरव गुलाटी, मालिक, रेड फोर्ट हार्ली-डेविडसन, दिल्ली, ने कहा.
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हार्ली-डेविडसन डीलरों का कहना है कि उन्होंने 11 वर्षों से भारत में प्रतिष्ठित अमेरिकी मोटरसाइकिल ब्रांड के प्रवेश और विकास को सुविधाजनक बनाया है और हर डीलरशिप को हार्ली-डेविडसन के द्वारा बताए गए सभी मानदंडों का पालन किया है. हर जगह पर लगभग रु 4 करोड़ के निवेश के अलावा डीलरों ने उपकरण, पार्ट्स और प्रशिक्षित जनशक्ति के साथ विश्व स्तरीय सेवा सुविधाएं देने के लिए रु 1 करोड़ प्रति डीलरशिप खर्च किए हैं.