2025 तक पांच प्रमुख वाहन निर्माता करेंगे सेमीकंडक्टर चिप्स का निर्माण : रिपोर्ट
हाइलाइट्स
दुनियाभर के वाहनों में अधिक तकनीक जुड़ने और उनके इलेक्ट्रिफिकेशन के बढ़ने के कारण कारों में सेमीकंडक्टर चिप्स की खपत में तेजी से वृद्धि हुई है. ऑटो उद्योग वर्तमान में महामारी के मद्देनजर इन चिप्स की बड़ी आपूर्ति की कमी से जूझ रहा है. कमी ने वाहन निर्माताओं को उत्पादन रोकने यहां तक कि वाहनों के वेरिएंट को बंद करने तक के लिए मजबूर कर दिया है, जिस वजह से कारों के अधिक पसंद किये जाने वाले वेरिएंट्स को वाहन निर्माता प्राथमिकता दे रहे हैं. इससे ऑटो सेक्टर पर और भी असर पड़ा है जो पहले से ही संकट के दौर से धीरे-धीरे उभर रहा था. हालाँकि, एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि वाहन निर्माता अब इस मामले को अपने हाथों में लेना चाह रहे हैं और शीर्ष 10 ऑटो कंपनियों में से कम से कम आधी 2025 तक अपनी स्वयं की चिप्स डिजाइन और उनका उत्पादन करने की योजना बना रही हैं.
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टेक्नोलॉजी रिसर्च और परामर्श कंपनी गार्टनर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वाहनों में इलेक्ट्रिफिकेशन और ऑटोनॉमी जैसी आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा मिलने की वजह से चिप की कमी सामने आई है. इस वजह से शीर्ष 10 ऑटोमोटिव निर्माता में से 50 प्रतिशत अपनी चिप्स डिजाइन करने के बारे में विचार कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो यह कार निर्माताओं को सेमीकंडक्टर सप्लाय चेन में आने वाली बाधाओं पर नियंत्रण करने का काम करेगा.
एक प्रेस विज्ञप्ति में, गार्टनर के रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट गौरव गुप्ता ने कहा, "ऑटोमोटिव सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन की समस्या जटिल है, ज्यादातर मामलों में, चिप निर्माता परंपरागत रूप से वाहन निर्माताओं के लिए टीयर III या टियर IV सप्लायर होते हैं. इसका अर्थ है कि जब तक वे ऑटो बाजार की मांग को प्रभावित करने वाले परिवर्तनों के अनुकूल नहीं हो जाते, तब तक इसमें आमतौर पर कुछ समय लगता रहेगा. इस वजह से चिप की सप्लाई में आई कमी ने कंपनियों को सेमीकंडक्टर सप्लाय की दिशा में काम करने की इच्छा को और बढ़ा दिया है."
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 'ओईएम-फाउंड्री-डायरेक्ट' के नाम से मशहूर चिप डिजाइन को इन-हाउस लाने का मॉडल ऑटोमोटिव उद्योग के लिए अद्वितीय नहीं है. टेक कंपनियों के बीच यह और तेज़ होगा क्योंकि सेमीकंडक्टर बाजार में बदलाव हो रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि टीएसएमसी, सैमसंग जैसे सेमीकंडक्टर चिप निर्माताओं ने कस्टम चिप डिजाइन को आसान बनाया है. गुप्ता ने कहा, "हम यह भी अनुमान लगाते हैं कि माइक्रोचिप की कमी से सीखे गए सबक वाहन निर्माताओं को तकनीकी कंपनियां बनने के लिए प्रेरित करेंगे."
गार्टनर की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और जर्मनी में एक नए वाहन की औसत कीमत लगभग 50,000 डॉलर होने की उम्मीद है, जिससे पुराने वाहनों की अधिक मरम्मत होगी. इस मूल्य वृद्धि से नई कारों की बिक्री में कमी और पुर्जों के बाजार में वृद्धि होने की उम्मीद है.