मारुति सुज़ुकी और माइक्रोसॉफ्ट ने नई ड्राइविंग लायसेंस तकनीक लॉन्च करने के लिए साझेदारी की
हाइलाइट्स
मारुति सुज़ुकी इंडिया ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के साथ मिलकर एक नई स्मार्टफोन आधारित तकनीक की शुरुआत करने की घोषणा की है, जिसका इस्तेमाल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों के परीक्षण के लिए किया जाएगा. हार्नेसिंग ऑटोमोबाइल फॉर सेफ्टी या HAMS नाम की इस नई तकनीक का दावा है कि बिना किसी मैनुअल हस्तक्षेप के ड्राइविंग टेस्ट 100 प्रतिशत सटीक तरीके से किया जाएगा. इसे मारुति सुज़ुकी के इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च (IDTR) और माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से बनाकर परीक्षण किया जा रहा है.
सबसे पहले उत्तराखंड सरकार के परिवहन विभाग के साथ मिलकर देहरादून में यह सेवा दी गई है.
वास्तविक दुनिया में इस्तेमाल करने के लिए, मारुति सुज़ुकी इंडिया ने उत्तराखंड सरकार के परिवहन विभाग के साथ मिलकर देहरादून में अपने ड्राइविंग टेस्ट सेंटर (एडीटीसी) में नई एचएएमएस तकनीक को तैनात किया है. कंपनी का दावा है कि ADTC देहरादून में HAMS ने उनकी परीक्षण प्रक्रिया में उत्साहजनक बदलाव लाए हैं. परीक्षण पूरा करने और रिपोर्ट तैयार करने में केवल 10 मिनट लगते हैं, और जबकि पहले 90 प्रतिशत लोग लायसेंस टैस्ट में पास हो जाते थे अब औसत पास दर 54 प्रतिशत ही रह गई है. इस प्रकार, अच्छे ड्राइवरों को ही लायसेंस मिल पाएगा.
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कंपनी का कहना है कि उत्तराखंड के बाद जल्द ही इस तकनीक को कई और राज्यों में पेश किया जाएगा. मारुति सुज़ुकी ने अत्याधुनिक औचोमेटिड टैस्ट सेंटर बनाने के लिए कई राज्य सरकारों के साथ भागीदारी की है. ये आवेदकों के ड्राइविंग कौशल की जांच करने और उम्मीदवारों के मैनुअल मूल्यांकन को बदलने के लिए उच्च वीडियो तकनीक की इस्तेमाल करती हैं.