मुंबई का एक ट्रैफिक सिग्नल दे रहा है लिंग समानता को बढ़ावा
हाइलाइट्स
हमारी सड़कों पर पुरूष और महिलाओं के बीच समानता को कैसे बढ़ावा दिया जाए? देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) इसी दिशा में एक नया विचार लेकर आई है. मध्य मुंबई के दादर में एक यातायात सिग्नल अब पैदल यात्री रोशनी और बोर्डों में महिलाओं के चित्र और ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा की. उन्होंने कहा, "अगर आप दादर से गुजरें हैं, तो आपको कुछ ऐसा दिखाई देगा, जो आपको गर्व महसूस कराएगा. बीएमसी एक सरल विचार के साथ लैंगिक समानता सुनिश्चित कर रहा है - संकेतों में अब महिलाएं भी हैं."
हम अभी भी भारतीय सड़कों पर लैंगिक समानता सुनिश्चित करने से काफी दूर हैं और सफर लंबा है. हमारी सड़कों पर भारी संख्या में चालक पुरुष ही हैं और यही हाल पैदल यात्रियों का भी है. आज तक पैदल यात्री संकेतों और बोर्डों ने भी केवल पुरुषों को प्रदर्शित किया है. इस परिवर्तन को मुंबई में पैदल चलने वालों और सड़क का इस्तेमाल करने वालों से सराहना मिलनी तय है. हां शायद कुछ लोग इसे न पसंद भी करें क्योंकि तरह का नजारा देखने की उन्हे आदत नहीं है. फिर भी यह कदम निश्चित रूप से सार्वजनिक स्थानों को महिलाओं के लिए अधिक समावेशी बनाने के लिए काम करेगा.
सुनने में आया है कि शहर के कुछ अन्य स्थानों पर भी यह दोहराया जाएगा.
सुनने में आया है कि शहर के कुछ अन्य स्थानों पर भी यह दोहराया जाएगा. इस विचार के पीछे दिमाग किरण दीघावकर का बताया जा रहा है, जो बीएमसी में सहायक आयुक्त हैं. उन्हें एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में घातक कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने का श्रेय भी दिया गया है. वायरस से ग्रस्त उनके प्रयासों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से भी प्रशंसा पाई है.