महिंद्रा द्वारा ग्राहक ना तलाश पाने की दशा में सैंगयांग मोटर रिसीवरशिप पर पहुंची
हाइलाइट्स
सैंगयांग मोटर को सिओल दिवालिया कोर्ट ने महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा ग्राहक ना ढूंढ पाने की दशा में कोर्ट रिसीवरशिप पर ले लिया है. भारतीय वाहन निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा दक्षिण कोरिया की इस कंपनी में सबसे बड़ी स्टेकहोल्डर है. दिसंबर 2020 में सैंगयांग लोन चुकाने में असमर्थ हो गई थी और तब कंपनी ने रिसीवरशिप के लिए कोर्ट में आवेदन किया था. अब सैंगयांग को जून 2021 तक कोरियाई दिवालिया कोर्ट में पुनर्वास या कहें तो रिहैबिलिटेशन प्लान जमा करना होगा.
सैंगयांग ने अपने बयान में कहा कि, “हम M&A के पूरा होते ही पनर्वास के जल्द समापन की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहे हैं, इसमें सिओल दिवालिया कोर्ट के परामर्श पर बहुत जल्दी में एक सलाहकार को नियुक्त किरना शामिल है.” 2020 में सैंगयांग का ऑपरेटिंग या कहें तो परिचालन नुकसान 449 बिलियन वॉन था जो करीब 402 मिलियन डॉलर के बराबर है. 2019 में कंपनी का यह नुकसान 282 बिलियन वॉन था. 2020 में कंपनी का रेवेन्यू भी 19 प्रतिशत गिरकर 3 ट्रिलियन वॉन रह गया था. इसके बाद कंपनी और भी गर्त में पहुंच गई जब वाहनों की बिक्री साल 2020 में 20 प्रतिशत गिर गई.
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पिछले महीने ही महिंद्रा एंड महिंद्रा ने सैंगयांग मोटर में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने मंज़ूरी ली थी. भारतीय वाहन निर्माता की इस 74.65 प्रतिशत हिस्सेदारी इस कोरियाई कार कंपनी में है और महिंद्रा पिछले साल से ही इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश कर रही है. साल 2010 में महिंद्रा ने सैंगयांग को खरीदा था और तब भी यह कंपनी दिवालिया होने की कगार पर थी. लेकिन अफसोस कि इसके बाद भी कोरियाई कंपनी की किस्मत बदल नहीं पाई.