यात्री कार ड्राइविंग लाइसेंस के साथ कमर्शियल वाहन चलाने को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने कमर्शियल वाहन चालकों के पक्ष में फैसला सुनाया
- हल्के मोटर वाहन लाइसेंस वाले ड्राइवर अब 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले वाहन चला सकते हैं
- अदालत ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है जो बताता हो कि (LMV) लाइसेंस होल्डर्स ने सड़क दुर्घटनओं में वृद्धि की है
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि हल्के मोटर वाहन (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति अब 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन चला सकेगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का फैसला इंश्योरेसं कंपनियों द्वारा दायर तीन-न्यायाधीशों की पीठ के 2017 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया, जिसने (LMV) लाइसेंस धारकों को हल्के कमर्शियल वाहन चलाने के लिए इसे संभव बना दिया.
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इंश्योरेंस कंपनियों ने दावा किया कि इस फैसले को पलटने की जरूरत है क्योंकि इससे एलएमवी लाइसेंस वाले व्यक्ति को बस, ट्रक या रोड रोलर चलाने की इजाजत मिल जाएगी, जिससे नागरिकों की जान खतरे में पड़ जाएगी और बीमा कंपनियों पर मुआवजा देने का बोझ बढ़ जाएगा. पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने कहा, "सड़क सुरक्षा एक गंभीर सार्वजनिक मुद्दा है" क्योंकि इसने नोट किया कि अकेले 2023 में, सड़क दुर्घटनाओं ने 1.7 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले ली.
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शीर्ष अदालत ने आजीविका के मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि, देश में लाखों-करोड़ों लोग हल्के कमर्शियल वाहन चलाकर अपनी आजिविका चला रहे हैं. इसलिए अदालत ने कार्रवाई के दौरान केंद्र से कानून में संशोधन लाकर कोई रास्ता निकालने पर विचार करने को कहा था. पीठ द्वारा यह भी कहा गया कि, इंश्योरेंस कंपनियां किसी भी (LMV) लाइसेंस धारक का क्लेम खारिज नहीं कर सकती हैं, जो 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले वाहन चलाते हैं, क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियां किसी भी तथ्य और सुबूतों के जरिये ये साबित करने में नाकाम रही हैं कि (LMV) ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले ड्राइवरों के भारी वाहन चलाने से ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. हां किसी भी ड्राइवर को डीएल देने से पहले ड्राइविंग टैस्ट अनिवार्य होगा.
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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने अदालत को सूचित किया था कि बदलावों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है क्योंकि यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के पास संशोधनों का संचालन करने के लिए लंबित है. पीठ ने उक्त प्रक्रिया पर कुछ भी टिप्पणी नहीं की क्योंकि एजी ने अदालत को आश्वासन दिया था कि संशोधनों को उचित समय पर अधिसूचित किया जाएगा.