रेनो क्विड को क्रैश टेस्ट में मिला एक स्टार, होंडा मोबिलियो हुई टेस्ट में पूरी तरह फेल
इस बार ग्लोबल एनकैप (NCAP) द्वारा हाल ही में किए गए क्रैश टेस्ट में रेनो क्विड 1.0-लीटर वर्जन और होंडा मोबिलियो को परखा गया।
हाइलाइट्स
भारत में बनी कारों की सुरक्षा पर हमेशा से सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। क्रैश टेस्ट के दौरान भारत में तैयार कई कारें फेल होती आई हैं। इस बार ग्लोबल एनकैप (NCAP) द्वारा हाल ही में किए गए क्रैश टेस्ट में रेनो क्विड 1.0-लीटर वर्जन और होंडा मोबिलियो को परखा गया। इस क्रैश टेस्ट में रेनो क्विड 1.0-लीटर वर्जन को जहां एक स्टार मिला वहीं होंडा मोबिलियो इस टेस्ट में पूरी तरह से फेल रही और इसे शून्य स्टार दिया गया। वहीं, होंडा मोबिलियो के एयरबैग वेरिएंट को 3 स्टार मिले।
ग्लोबल एनकैप के जेनरल सेक्रेटरी डेविड वार्ड ने कहा कि होंडा और रेनो, दोनों ही कंपनियां सुरक्षित कार बनाने के लिए जानी जाती हैं। इस टेस्ट के बाद उन्हें अंदाज़ा हो गया होगा कि भारत में तैयार होने वाली कारों की सुरक्षा के लिए अभी और कितना काम करना बाकी है और इस दिशा में इन कंपनियों को जल्द से जल्द काम शुरू करना चाहिए।
एनकैप क्रैश टेस्ट के नतीजों के मुताबिक रेनो क्विड में मामूली सुधार देखा गया है। इसका श्रेय क्विड में लगे ड्राइवर साइड एयरबैग और प्रीटेंशनर सीट बेल्ट को दिया जाना चाहिए। बिना एयरबैग वाली होंडा मोबिलियो के प्रदर्शन से ये साफ हो गया है कि कंपनी को एयरबैग जैसे सेफ्टी फीचर्स को गाड़ी के स्टैंडर्ड फीचर में शामिल किए जाने की ज़रूरत है।
ग़ौरतलब है कि भारत सरकार जल्द ही क्रैश टेस्टिंग को भारत में गंभीरता से लेने पर विचार कर रही है। अगले साल तक भारत एनकैप क्रैश टेस्ट प्रोग्राम को भी लॉन्च कर दिया जाएगा। ग्लोबल एनकैप ने साल 2013 में सेफ कार फॉर इंडिया प्रोग्राम के तहत पहली बार 5 कारों को टेस्ट किया था जिसमें पुरानी जेनेरेशन फोर्ड फीगो, फॉक्सवैगन पोलो, ह्युंडई आई10, मारुति सुजुकी अल्टो और टाटा नैनो को शामिल किया गया था।
दूसरे राउंड में ग्लोबल एनकैप ने डैटसन गो और मारुति सुजुकी स्विफ्ट को टेस्ट किया था। इसी साल मई में एनकैप ने तीसरा टेस्ट किया जिसमें महिंद्रा स्कॉर्पियो, मारुति सुजुकी इको, मारुति सुजुकी सेलेरियो, ह्युंडई इऑन और रेनो क्विड को टेस्ट किया था।
ग्लोबल एनकैप के जेनरल सेक्रेटरी डेविड वार्ड ने कहा कि होंडा और रेनो, दोनों ही कंपनियां सुरक्षित कार बनाने के लिए जानी जाती हैं। इस टेस्ट के बाद उन्हें अंदाज़ा हो गया होगा कि भारत में तैयार होने वाली कारों की सुरक्षा के लिए अभी और कितना काम करना बाकी है और इस दिशा में इन कंपनियों को जल्द से जल्द काम शुरू करना चाहिए।
एनकैप क्रैश टेस्ट के नतीजों के मुताबिक रेनो क्विड में मामूली सुधार देखा गया है। इसका श्रेय क्विड में लगे ड्राइवर साइड एयरबैग और प्रीटेंशनर सीट बेल्ट को दिया जाना चाहिए। बिना एयरबैग वाली होंडा मोबिलियो के प्रदर्शन से ये साफ हो गया है कि कंपनी को एयरबैग जैसे सेफ्टी फीचर्स को गाड़ी के स्टैंडर्ड फीचर में शामिल किए जाने की ज़रूरत है।
ग़ौरतलब है कि भारत सरकार जल्द ही क्रैश टेस्टिंग को भारत में गंभीरता से लेने पर विचार कर रही है। अगले साल तक भारत एनकैप क्रैश टेस्ट प्रोग्राम को भी लॉन्च कर दिया जाएगा। ग्लोबल एनकैप ने साल 2013 में सेफ कार फॉर इंडिया प्रोग्राम के तहत पहली बार 5 कारों को टेस्ट किया था जिसमें पुरानी जेनेरेशन फोर्ड फीगो, फॉक्सवैगन पोलो, ह्युंडई आई10, मारुति सुजुकी अल्टो और टाटा नैनो को शामिल किया गया था।
दूसरे राउंड में ग्लोबल एनकैप ने डैटसन गो और मारुति सुजुकी स्विफ्ट को टेस्ट किया था। इसी साल मई में एनकैप ने तीसरा टेस्ट किया जिसमें महिंद्रा स्कॉर्पियो, मारुति सुजुकी इको, मारुति सुजुकी सेलेरियो, ह्युंडई इऑन और रेनो क्विड को टेस्ट किया था।
Last Updated on September 21, 2016
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