BS4 कार में डालेंगे BS6 इंधन तो क्या होगा असर, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा है कि 1 अप्रैल 2018 से दिल्ली में BS6 फ्यूल सकता है. ये बदलाव अप्रैल 2020 में किया जाना था. दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण खतरे के निशान से आगे बढ़ने पर सरकार ने इसे दो साल पहले लागू करने का फैसला लिया है. टैप कर जानें BS4 कार में डालेंगे BS6 इंधन तो क्या होगा?
हाइलाइट्स
- समय से पहले ही दिल्ली में लागू किया जा सकता है BS6 इंधन
- BS4 कार में BS6 इंधन डालने से फ्यूल इंजैक्टर पर पड़ेगा असर
- इंधन में होने वाला यह बदलाव पहले अप्रैल 2020 में किया जाना था
पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय ने कहा है कि 1 अप्रैल 2018 से दिल्ली में BS6 फ्यूल सकता है. एनसीआर एरिया में आने वाले गुरूग्राम, नोएडा, गाज़ियाबाद और फरीदाबाद में 1 अप्रैल 2019 से BS6 फ्यूल मिलने लगेगा. इंधन में हो रहा ये बदलाव पहले अप्रैल 2020 में किया जाना था लेकिन दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में इसे दो साल पहले ही लागू किया जाएगा. वजह साफ है... प्रदूषण. जहां इंधम में इस बदलाव को लेकर कुछ ऑटोमेकर्स ने इसपर काम करना शुरू कर दिया है, वहीं कुछ ऑटो कंपनियों ने इसपर प्रतिक्रिया दी है. कंपनियों का कहना है कि इंधन में बदलाव करने से प्रदूषण से पार नहीं पाया जा सकता. हो सकता है इसका उतना असर भी ना पड़े जितना प्रदूषण कम करने के लिए उपयुक्त है.
NCR एरिया में आने वाले गुरूग्राम, नोएडा, गाज़ियाबाद और फरीदाबाद में 1 अप्रैल 2019 से BS6 फ्यूल मिलने लगेगा
पेट्रोल और डीजल में होने वाले बदलाव से इनकी कैमिकल प्रॉपर्टी में भी बदलाव आएगा. ऐसे में BS4 से BS6 हो जाने पर पेट्रोल पर नहीं बल्कि डीजल पर ज्यादा असर होगा. नए डीजल में सल्फर की मात्रा कम होगी जो पहले बिकने वाले डीजल में 500 पीपीएम -पार्ट्स प्रति मिलियन- था. फिलहाल बिक रहे डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम और BS6 डीजल में इसकी मात्रा महज़ 10 पीपीएम रह जाएगी. इससे साफ तौर पर पर्यावरण में कम प्रदूषण फैलेगा. इसके साथ ही इंजन भी आसानी से चलेगा जिससे इसे लंबे समय तक ज्यादा नुकसान नहीं होगा.
ये भी पढ़ें : 1 अपैल 2018 से दिल्ली में मिलने लगेगा BS-VI ग्रेड इंधन, जानें 2020 की जगह 2018 में क्यों होगा लागू
अपडेटेड इलैक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर के साथ कोई भी BS6 कार BS6 इंधन डालकर चलाई जा सकती है. इन कारों के एग्ज़्हॉस्ट सिस्टम में अलग से कई पार्ट लगे होते हैं. ऐसी कारों में ज्यादा मात्रा में सल्फर युक्त इंधन डालने से कार के इंजन पर बुरा असर पड़ेगा. इंजन साधारण गति में चलने की जगह ज्यादा तेज़ चलेगा. इससे कार की इंजन की उम्र कम हो जाती है. इससे कार की फ्यूल इकोनॉमी भी बिगड़ जाती है जिससे कार के माइलेज पर फर्क पड़ता है. BS6 कार में BS4 इंधन इस्तेमाल से तो और भी ज्यादा बुरा प्रभाव इंजन पर पड़ता है.
पेट्रोल और डीजल में होने वाले बदलाव से इनकी कैमिकल प्रॉपर्टी में भी बदलाव आएगा. ऐसे में BS4 से BS6 हो जाने पर पेट्रोल पर नहीं बल्कि डीजल पर ज्यादा असर होगा. नए डीजल में सल्फर की मात्रा कम होगी जो पहले बिकने वाले डीजल में 500 पीपीएम -पार्ट्स प्रति मिलियन- था. फिलहाल बिक रहे डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम और BS6 डीजल में इसकी मात्रा महज़ 10 पीपीएम रह जाएगी. इससे साफ तौर पर पर्यावरण में कम प्रदूषण फैलेगा. इसके साथ ही इंजन भी आसानी से चलेगा जिससे इसे लंबे समय तक ज्यादा नुकसान नहीं होगा.
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अपडेटेड इलैक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर के साथ कोई भी BS6 कार BS6 इंधन डालकर चलाई जा सकती है. इन कारों के एग्ज़्हॉस्ट सिस्टम में अलग से कई पार्ट लगे होते हैं. ऐसी कारों में ज्यादा मात्रा में सल्फर युक्त इंधन डालने से कार के इंजन पर बुरा असर पड़ेगा. इंजन साधारण गति में चलने की जगह ज्यादा तेज़ चलेगा. इससे कार की इंजन की उम्र कम हो जाती है. इससे कार की फ्यूल इकोनॉमी भी बिगड़ जाती है जिससे कार के माइलेज पर फर्क पड़ता है. BS6 कार में BS4 इंधन इस्तेमाल से तो और भी ज्यादा बुरा प्रभाव इंजन पर पड़ता है.
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