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76% भारतीय घर पर ही चार्ज करेंगे अपने इलेक्ट्रिक वाहन: रिपोर्ट

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About 76 Per Cent Indians Would Charge Their EVs At Home Says New Deloitte Study
डेलॉइट के अध्ययन के अनुसार, लगभग 59 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण के स्तर और पेट्रोल/डीजल वाहनों के उत्सर्जन को लेकर चिंतित हैं.
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द्वारा ऋषभ परमार

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प्रकाशित फ़रवरी 10, 2022

हाइलाइट्स

    डेलॉइट द्वारा हाल ही में किए गए वैश्विक ऑटोमोटिव कंज्यूमर अध्यन 2022 से पता चलता है कि एक तिहाई से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं ने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों में रुचि दिखाई है, क्योंकि यह खंड भारत के पर्यावरण के अनुकूल, स्थानीय रूप से निर्मित और टिकाऊ समाधान देता है. महामारी के बाद इस दिशा में ज्यादा ध्यान केंद्रित हुआ है. अध्ययन के अनुसार, लगभग 59 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण के स्तर और पेट्रोल/डीजल वाहनों के उत्सर्जन के बारे में चिंतित हैं, और कम ईंधन लागत, बेहतर ड्राइव एक्सपीरियंस की वजह से ईवी में रुचि दिखा रहे हैं.

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    पुरुषों और महिलाओं दोनों को मिलाकर 895 व्यक्तियों से पूछा गया है जिसके आधार पर लगभग 58 प्रतिशत ने अपनी अगले वाहन के रूप में पेट्रोल / डीजल वाहन के लिए वोट किया, जबकि 21 प्रतिशत ने हाइब्रिड वाहन का विकल्प चुना. प्लग-इन हाइब्रिड वाहनों या पीएचईवी को चुनने वाले लोगों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी, जबकि पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कार चाहने वालों की संख्या केवल 5 प्रतिशत थी. हालांकि, रिपोर्ट इस तथ्य पर जोर देती है कि केंद्र और राज्य सरकारों से मिलने वाली सब्सिडी को देखते हुए लगभग 78 प्रतिशत लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प चुनेंगे जिनकी कीमत रु. 5 लाख से रु.​25 लाख के बीच है.

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    लगभग 76 प्रतिशत उपभोक्ता अपने ईवी को ऑफिस के बजाय घर पर चार्ज करना चाहते हैं

    अध्ययन से यह भी पता चलता है कि इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का निर्णय काफी हद तक बिजली की लागत परल भी निर्भर करता है और यदि यह वर्तमान जीवाश्म ईंधन की लागत के साथ संतुलन में है, तो ईवी एक आसान विकल्प होगा. लगभग 61 प्रतिशत ने कहा कि वे अभी भी एक इलेक्ट्रिक वाहन प्राप्त करने में बहुत रुचि रखते हैं, भले ही गतिशीलता के लिए उपयोग की जाने वाली बिजली की कीमत वर्तमान जीवाश्म ईंधन की तरह हो, जबकि 37 प्रतिशत ने कहा कि वे इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे. केवल 2 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वो इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का निर्णय बदलेंगे या उसे खरीदेंगे. हालांकि, जब चार्जिंग की बात आती है, तो लगभग 76 प्रतिशत उपभोक्ता अपने ईवी को एक स्मार्टफोन के रूप में लेना चाहते हैं और ऑफिस या सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन के बजाय घर पर ही चार्ज करना चाहते हैं. यह अनिश्चित बना हुआ है कि घर पर ईवी चार्ज करने से मौजूदा पावर ग्रिड पर दबाव पड़ेगा.

    भारत सरकार ने हाल ही में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के नियमों को संशोधित किया और संबंधित मालिकों को घरों या ऑफिस में मौजूदा बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने ईवी चार्ज करने की अनुमति दी. यह कोशिश भारतीयों को जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए एक अतिरिक्त प्रोत्साहन देगी. उपभोक्ताओं के लिए एक स्थायी समाधान होने के अलावा, ईवीएस लागत प्रभावी भी हैं. बढ़ती मांग के साथ, कई ऑटो निर्माताओं और ओईएम ने देश भर में रणनीतिक साझेदारी शुरू कर दी है. 

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    लगभग 78 प्रतिशत लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प चुनेंगे जिनकी कीमत ₹ 5 लाख से ₹ ​​25 लाख के बीच है

    डेलॉइट इंडिया के पार्टनर राजीव सिंह ने कहा, "ग्राहकों की उभरती जरूरतों और नए विचारधारा के साथ भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग विकास के एक नए युग का गवाह बनने जा रहा है. हमारा नया अध्ययन उपभोक्ताओं की बदलती धारणाओं में गहराई से उतरता है, जो उन उपभोक्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देते हैं जो वैकल्पिक पावर ट्रेन विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे हैं और इससे देश में ईवीएस (विशेष रूप से दो और तीन पहिया वाहनों) के विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है. ”

    रिपोर्ट में बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर इस साल के केंद्रीय बजट में घोषित नई नीतिगत विकास की भी सराहना की गई है, इससे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आसपास की चुनौतियों का समाधान में सक्षम होने की संभावना है. इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण ने अपनी लचीली स्वामित्व क्षमता के साथ मिलेनियल्स और जेनजेडएस की निरंतर विकसित होने वाली जरूरतों को पूरा करने के लिए सदस्यता-आधारित मॉडलों की एक गुप्त आवश्यकता की वृद्धि का भी खुलासा किया. 
     

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