कोरोनावायरस: ऑथोराइज़्ड सर्विस सेंटर बन सकते हैं कार मालिकों की पहली पसंद
हाइलाइट्स
कोरोनोवायरस लॉकडाउन के बाद लोगों के कार रखने के तरीके में कई बदलाव सामने आ सकते हैं. ज़कार्डो द्वारा जारी एक रिपोर्ट के हिसाब से लॉकडाउन के बाद के समय में कार खरीदने से लेकर सर्विस कराने के तरीके बदलेंगे. ज़कार्डो एक स्टार्टअप है जो कार मालिकों को मेंटेनेंस की लागत कम करने में मदद करता है. अन्य बातों के अलावा रिपोर्ट का फ़ोकस इस बात पर भी है कि अब स्वच्छता के मुद्दों के कारण कार मालिक अपने वाहनों को ऑथोराइज़्ड सर्विस स्टेशनों पर ले जाना ज़्यादा पसंद करेंगे. एक अनुमान के अनुसार कार के वारंटी से बाहर जाते ही 60% कार मालिक असंगठित क्षेत्र में चले जाते हैं. इसकी वजह है कम खर्च होना.
आने वाले समय में करीब 53% कार मालिक ऑथोराइज़्ड सर्विस स्टेशनों में जाना पसंद करेंगे.
ज़कार्डो द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि आने वाले समय में करीव 53% कार मालिक ऑथोराइज़्ड सर्विस स्टेशनों में जाना पसंद करेंगे. लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा 37% था. इसके मुकाबले केवल 10% कार चालक ही पास के स्थानीय स्वतंत्र गैराज में जाना पसंद करेंगे. इसके मुख्य कारण हैं गेराज कर्मचारियों की स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और उनका सही सेनिटाइज़ेशन के तरीके न जानना.
लोकल गैराजों की तुलना में कार मालिक ऑथोराइज़्ड सर्विस स्टेशनों को अधिक स्वच्छता और सुरक्षा के साथ जोड़ते हैं.
ज़कार्डो ऑटोमोटिव सॉल्यूशंस संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी करुणाकर दुबे ने कहा, "स्वतंत्र गैराज में लोगों का आना काफी कम हो जाएगा. इससे उनकी कमाई भी कम होगी और वो अपने स्टाफ को वेतन भी नहीं दे पाएंगे. अधिकांश गैरेज में काम करने वालों की भी कमी हो सकती है क्योंकि कई तकनीशियन गैरेज बंद होने के कारण अपने वतन लौट गए हैं."
यह भी पढ़ें: कोरोनावायरस: लॉकडाउन के बाद सेकेंड हेंड कार बाजार में आ सकती है तेज़ी
भारतीय सर्विसिंग और पुर्जों के 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार में असंगठित क्षेत्र का 53% हिस्सा है. लेकिन ऑथोराइज़्ड सर्विस स्टेशनों कि तुलना में 40-50% कम दाम में सेवा दे कर भी शायद यह गैराज अब ग्राहकों को लुभा न पाएं.