बजाज ने वेरिएबल वॉल्व टाइमिंग तकनीक पेटेंट कराई, जानें पहले किसे मिलेगी
हाइलाइट्स
बजाज पल्सर भारत में 2001 में लॉन्च की गई थी जिसके बाद से लगातार यह कंपनी के लिए ज़ोरदार प्रदर्शन करती आई है और बजाज की सबसे चहेती बाइक्स में एक है. यह कोई नई बात नहीं है कि बजाज ऑटो पल्सर की नई रेन्ज पर काम कर रही है और इसके साथ कंपनी नई तकनीक के अलावा नए इंजन भी पेश करने वाली है. बजाज ऑटो ने वेरिएबल वॉल्व टाइमिंग के लिए 2019 में पेटेंट दर्ज किया था और अब कंपनी संभावित रूप से आगामी बजाज पल्सर 250 के साथ यह तकनीक उपलब्ध करा सकती है. कंपनी की आगामी ज़्यादा दमदार मॉडल्स के साथ भी Bajaj Auto इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाली है तो ट्रायम्फ मोटरसाइकिल के साथ मिलकर बनाई जा रही हैं.
वेरिएबल वॉल्व टाइमिंग या वेरिएबल वॉल्व ऐक्चुएशन तकनीक का सामान्य इस्तेमाल है जो इंजन की क्षमता बढ़ाता है. सिंगल-सिलेंडर हो या कई सिलेंडर वाला इंजन, इससे इंजन को दमदार बनाया जा सकता है. चलते इंजन में वॉल्व के खुलने और बंद होने का तालमेल बैठाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. वॉल्व का मूवमेंट दो कैम्स द्वारा हरकत में आता है. इन दोनों कैम्स और इंटेल/एग्ज़्हॉस्ट वॉल्व के बीच एक हाईड्रॉलिक लिंक बनाई गई है, इससे इंजन ट्यून किया जा सकता है. यामाहा की वायज़ैडएफ-आर15 एंट्री-लेवल बाइक में इस तकनीक के इस्तेमाल किए जाने का एक बेहतर उदाहरण है.
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मोटरसाइकिल के इंजन में इस तकनीक के और भी कई फायदे हैं. बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी, दमदार मिड-रेन्ज और तेज़ रफ्तार पर शानदार प्रदर्शन पाने के लिए इंजन की वॉल्व टाइमिंग को ट्यून किया जा सकता है. पेटेंट में सामने आया है कि वॉल्व टाइमिंग को इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा बदला जा सकता है. यह एक सामान्य तकनीक है और जैसा हमने पहले बताया कि इसे एक या एक से अधिक यानी कई सिलेंडर इंजन के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. अनुमान है कि बजाज केटीएम के साथ भी इस तकनीक को साझा करेगी. दिलचस्प यह है कि इस तकनीक को बजाज मोटरसाइकिलों में अलग से भी लगवाया जा सकता है.
सोर्सः ZigWheels