दिल्ली में कार कंपनियों को राहत नहीं, 2000 सीसी से ज्यादा की डीज़ल गाड़ियों पर जारी रहेगा प्रतिबंध
देश की राजधानी दिल्ली में 2000 सीसी और उससे अधिक की इंजन क्षमता वाली कारों और एसयूवी के रजिस्ट्रेशन पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया है।
हाइलाइट्स
देश की राजधानी दिल्ली में 2000 सीसी और उससे अधिक की इंजन क्षमता वाली कारों और एसयूवी के रजिस्ट्रेशन पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को इस मामले पर हुई सुनवाई में मर्सिडीज़, टोयोटा, महिंद्रा और जनरल मोटर्स जैसी ऑटोमोबिल कंपनियों को राहत नहीं मिली।
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मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश टीएस ठाकुर, एके सीकरी और आर भानुमति की पीठ ने कहा, '2000 सीसी और उससे अधिक की इंजन क्षमता वाले डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर प्रतिबंध 30 अप्रैल तक जारी रहेगा।’ पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से चलने वाली सभी टैक्सियों को सीएनजी में तब्दील करने के लिए समय-सीमा को एक और महीने के लिए बढ़ा दिया। यह समय-सीमा 31 अप्रैल, 2016 को समाप्त हो रही थी।
डीजल से चलने वाली टैक्सियों को सीएनजी में तब्दील करने के लिए समय-सीमा बढ़ाने और डीजल से चलने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर यथास्थिति बरकरार रखने के दौरान पीठ ने कहा कि प्रतिष्ठित कार निर्माता कंपनियां जनहित याचिका को जनहित में मानें।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को निर्धारित की है। सुनवाई कर रहे जजों की पीठ ने ऑटोमोबिल कंपनियों के साथ बैठने और कुछ प्रस्ताव के साथ आने को कहा ताकि 9 अप्रैल को सुनवाई करके किसी समाधान तक पहुंचा जा सके। शनिवार सुप्रीम कोर्ट का गैर कामकाजी दिन होता है लेकिन कुछ न्यायिक समय बचाने के लिए अदालत ने उस दिन सुनवाई की तारीख निर्धारित की है।
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मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश टीएस ठाकुर, एके सीकरी और आर भानुमति की पीठ ने कहा, '2000 सीसी और उससे अधिक की इंजन क्षमता वाले डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर प्रतिबंध 30 अप्रैल तक जारी रहेगा।’ पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से चलने वाली सभी टैक्सियों को सीएनजी में तब्दील करने के लिए समय-सीमा को एक और महीने के लिए बढ़ा दिया। यह समय-सीमा 31 अप्रैल, 2016 को समाप्त हो रही थी।
डीजल से चलने वाली टैक्सियों को सीएनजी में तब्दील करने के लिए समय-सीमा बढ़ाने और डीजल से चलने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर यथास्थिति बरकरार रखने के दौरान पीठ ने कहा कि प्रतिष्ठित कार निर्माता कंपनियां जनहित याचिका को जनहित में मानें।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को निर्धारित की है। सुनवाई कर रहे जजों की पीठ ने ऑटोमोबिल कंपनियों के साथ बैठने और कुछ प्रस्ताव के साथ आने को कहा ताकि 9 अप्रैल को सुनवाई करके किसी समाधान तक पहुंचा जा सके। शनिवार सुप्रीम कोर्ट का गैर कामकाजी दिन होता है लेकिन कुछ न्यायिक समय बचाने के लिए अदालत ने उस दिन सुनवाई की तारीख निर्धारित की है।
Last Updated on April 1, 2016
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