भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों पर होगी कारों की क्रैश टेस्टिंग: नितिन गडकरी
हाइलाइट्स
भारत में बनी कारों की अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप जल्द ही देश में क्रैश टेस्टिंग शुरू की जाएगी. बजट कारों के ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) के क्रैश टेस्ट में हर बार फेल हो जाने के कारण केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि "देश में बनने वाली कारों के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानक लागू किए जाएंगे. इसके तहत UN और यूरोपियन मानकों का अध्ययन किया जाएगा. विदेशों के उच्च सुरक्षा मानकों में देश में बनी कारें खरी नहीं उतरती. अब इंदौर में बने क्रैश टेस्ट सेंटर में कंपनियों को नई कारों के प्रोटोटाइप मॉडल को पास कराना अनिवार्य होगा."
नितिन गडकरी ने कहा कि “वाहन की सुरक्षा में सुधार के लिए मानकों और प्रोटोकॉल के आधार पर वाहन की स्टार रेटिंग के लिए एक प्रणाली प्रस्तावित की जा रही है. उन्होंने कहा कि इससे वाहन के खरीदार को सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी.” मंत्री ने कहा है कि “सड़क सुरक्षा एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और सड़क दुर्घटनाओं के लिए जीरो टॉलरेंस होना चाहिए." ऑटोमोबाइल सुरक्षा इकोसिस्टम पर एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि "साल 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं को 50% तक कम करने के लिए सभी प्रयास किए जायेंगे." गडकरी ने सुरक्षा प्रावधानों में सुधार के लिए 4 अतिरिक्त एयरबैग और 3-पॉइंट सीट बेल्ट की आवश्यकता पर जोर दिया.
टेस्ट के दौरान गाड़ी को फिक्स स्पीड से किसी हार्ड ऑब्जेक्ट के साथ टकराया जाता है. इस दौरान कार में 4 से 5 डमी का इस्तेमाल किया जाता है. बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है. ये चाइल्ड सेफ्टी सीट पर फिक्स की जाती है. टेस्ट की गई कारों को 0-5 स्टार रेटिंग दी जाती है. रेटिंग को एडल्ट सेफ्टी, चाइल्ड सेफ्टी समेत कई मानकों पर बांटा जाता है. क्रैश टेस्ट के बाद कार के एयरबैग ने काम किया या नहीं? डमी कितनी डैमेज हुई? कार के सेफ्टी फीचर्स ने कितना काम किया? इन सब के आधार पर रेटिंग दी जाती है.