FADA का सरकार से निवेदन, फोर्ड इंडिया के डीलर्स को मिलने वाले मुआवजे पर रखे निगरानी
हाइलाइट्स
फोर्ड ने भारतीय बाज़ार में व्यापार बंद करने की घोषणा कुछ दिन पहले ही की है जिसके बाद फोर्ड के मौजूदा ग्राहकों और डीलर्स को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जहां कंपनी ने कार मालिकों के लिए बिक्री के बाद की सर्विस और पुर्ज़े उपलब्ध कराने का काम जारी रखने का वादा किया है, वहीं फोर्ड डीलर्स अब भी परेशान हैं. फैडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशन (FADA) ने सरकार से निवेदन किया है कि देशभर में फोर्ड डीलर्स को कंपनी द्वारा दिए जाने वाले मुआवजे की नीति पर निगरानी रखने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया जाए. भारी उद्योग मंत्री, महेंद्र नाथ पांडे को लिखे एक पत्र में फाडा के प्रसिडेंट विंकेश गुलाटी ने भारत सरकार से यह भी कहा है कि सरकार फोर्ड इंडिया को मुआवजे की समस्त प्रक्रिया में होने वाले काम की जानकारी के लिए इंडस्ट्री बॉडी को भी संज्ञान में रखे.
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार इस पत्र में गुलाटी ने कहा गया है कि, "हम मंत्रालय से विनम्र निवेदन करते हैं कि फोर्ड इंडिया द्वारा ऑटोमोबाइल डीलर्स और डीलरशिप पर काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाले मुआवजे की नीति का दिन प्रतिदिन जायज़ा लेने के लिए एक समिति का गठन किया जाए." इसके अलावा गुलाटी ने मंत्रालय से यह निवेदन भी किया है कि फोर्ड इंडिया यह सुनिश्चित करे कि कंपनी द्वारा भारत में काम बंद करने की घोषणा के बाद डीलर्स को मौजूदा और भविष्य में आने वाले कन्ज़्यूमर और सिविल मामलों से बरी किया जाए.
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इस पत्र में यह भी लिखा गया है कि फोर्ड इंडिया मुआवजा देने से पहले डीलर्स को नॉन डिस्क्लोज़र ऐग्रिमेंट पर 14 सितंबर 2021 से पहले हस्ताक्षर करने का दबाव बना रही है. बहुत से फोर्ड डीलर्स ने फाडा से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निवेदन किया है कि इस मामले का उचित निपटारा किया जाए. इस रिपोर्ट में आगे सामने आया है कि जनरल मोटर्स, हार्ली-डेविडसन, मान ट्रक्स और यूएम एंड लोहिआ और अब फोर्ड द्वारा भारतीय बाज़ार से बाहर निकलने की घोषणा के बाद डीलरशिप पर काम करने वाले 64,000 लोगों का रोजगार चला गया है. गुलाटी ने सरकार से यह निवेदन भी किया है कि ऑटोमोबाइल डीलर्स प्रोटैक्शन ऐक्ट को लेकर चर्चा की जाए. फोर्ड इंडिया के भारत छोड़ने से करीब 4,000 कर्मचारियों की जॉब प्रभावित होगी.