पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज़ ड्यूटी से सरकार ने 6 महीने में जुटाए Rs. 1.71 लाख करोड़
हाइलाइट्स
पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह (Excise Duty Collection) पहली छमाही में पिछले साल की समान अवधि के मुक़ाबले 33 प्रतिशत बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रु हो गया है. कोविड पूर्व के आंकड़ों से तुलना करें तो पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह में 79 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि हुई है. पिछले साल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था. पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ रुपये रहा था. 2019-20 में यह 2.39 लाख करोड़ रुपये था.
माल एवं सेवा कर (GST) प्रणाली लागू होने के बाद सिर्फ पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस पर ही उत्पाद शुल्क लगता है. अन्य उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी लगता है. सीजीए के अनुसार, 2018-19 में कुल उत्पाद शुल्क संग्रह 2.3 लाख करोड़ रुपये रहा था. इसमें से 35,874 करोड़ रुपये राज्यों को वितरित किए गए थे. इससे पिछले 2017-18 के वित्त वर्ष में 2.58 लाख करोड़ रुपये में से 71,759 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए थे.
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डीज़ल का शुल्क बढ़ाकर 31.80 रुपये प्रति लीटर किया गया था वित्त मंत्रालय में लेखा महानियंत्रक CGL के आंकड़ों के अनुसार,चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 1.71 लाख करोड़ रुपये रहा. वही पिछले साल की समान अवधि में यह 1.28 लाख करोड़ रुपये रहा था. यह अप्रैल-सितंबर 2019 के 95,930 करोड़ रुपये के आंकड़े से 79 प्रतिशत अधिक है. पूरे वित्त वर्ष 2020-2021 उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ रुपये रहा था.