टेस्ला ने भारत सरकार की पीएलआई योजना के लिए नहीं किया आवेदन
हाइलाइट्स
भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला पर पलटवार किया है, जो बड़े पैमाने पर आयात शुल्क में कटौती की पैरवी कर रही है, जिससे वह भारत में अपनी चाइना में बनी कारों को बेच सके. अब सरकार ने खुलासा किया है कि टेस्ला केवल आयात शुल्क में राहत चाहती है, लेकिन उसने स्थानीय विनिर्माण के प्रति कोई रुझान नहीं दिखाया है और रु 44,000 करोड़ की पीएलआई योजना के लिए आवेदन भी नहीं किया है. यह योजना भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग में स्थानीय निर्माण के पर्यावरण को आसान बनाती है.
पीएलआई योजना के तहत 20 आवेदकों से रु 45,016 करोड़ तक के निवेश प्रस्ताव पहले ही मिल चुके हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "उन्होंने आवेदन नहीं किया है. टेस्ला ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई योजना के तहत उन्नत केमिस्ट्री सेल बनाने के लिए लाभ उठा सकती है, लेकिन कंपनी यहां उत्पादन करने के लिए कोई प्रतिबद्धता दिखाए बिना रियायती शुल्क चाहती है."
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सरकार द्वारा पेश प्रोत्साहन लागत अक्षमताओं को दूर करने के लिए 18 प्रतिशत तक की रियायतें देते हैं और ऑटो निर्माताओं को भारत में अपनी सप्लाय का गहरा स्थानीयकरण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. सरकार का उद्देश्य है कि भारत में बेहतर ऑटोमोटिव तकनीक का विकास और निर्माण किया जाए. पीएलआई योजना के तहत 20 आवेदकों से रु 45,016 करोड़ तक के निवेश प्रस्ताव पहले ही मिल चुके हैं. इन आवेदकों में ह्यून्दे, सुजुकी मोटर गुजरात, अशोक लेलैंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हीरो मोटरकॉर्प, बजाज ऑटो और ओला इलेक्ट्रिक शामिल हैं.
Last Updated on February 16, 2022