कोरोनावायरस टेस्ट के लिए भारत की पहली मोबाइल लैब शुरू की गई

हाइलाइट्स
कोरोनावायरस महामारी के बीच परीक्षण की दर बढ़ाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश के दूर-दराज़ क्षेत्रों तक परीक्षण सुविधाएं पहुंचें, केंद्र सरकार ने देश की पहली मोबाइल टेस्टिंग लैब शुरू की है. एक बड़ी विशेषता यह है कि इस प्रयोगशाला को ऑटोमोटिव चेसिस से उठाया जा सकता है और देश के किसी भी स्थान पर भेजने के लिए मालगाड़ी पर रखा जा सकता है. दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा प्रयोगशाला को हरी झंडी दिखाई गई.

यह बीमारी डायग्नोस्टिक लैब या आई-लैब 8 दिनों के रिकॉर्ड समय में बनाई गई है
यह मोबाइल लैब साइंस और टेकनॉलोजी मंत्रालय और आंध्र प्रदेश मेडटेक जोऩ के संयुक्त प्रयासों से बनाया गया है. विशाखापट्टनम स्थित यह संस्था देश में चिकित्सा उपकरण के निर्माण को बढ़ावा देती है. इस संक्रामक रोग निदान प्रयोगशाला या आई-लैब को सिर्फ 8 दिनों के रिकॉर्ड समय में बनाया गया है. कोविड के अलावा, टीबी और एचआईवी जैसी अन्य बीमारियों के लिए अतिरिक्त परीक्षण भी इस लैब में किए जा सकते हैं. इसका उपयोग कोरोना महामारी ख़त्म होने के बाद भी ऐसे संक्रामक रोगों के परीक्षण करने के लिए किया जाएगा.
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मोटर वाहन चेसिस से लैब को उठाया जा सकता है और मालगाड़ी पर रखा जा सकता है
यह मोबाइल लैब एक दिन में लगभग 50 कोरोना परीक्षण और लगभग 200 अन्य परीक्षण कर सकती है. मशीनों का 8 घंटे की दो शिफ्टों में इस्तेमाल लगभग प्रति दिन 500 टेस्ट तक की क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकता है. सरकार के अनुसार यह लैब नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) प्रमाणों के हिसाब से बनाया गया है. सरकार यह भी साझा किया कि ऐसी 50 मोबाइल परीक्षण लैब बनाई जाएंगी और देश के दूरदराज़ के हिस्सों में तैनात की जाएंगी ताकि तेज़ी से ज़्यादा परीक्षण में मदद मिल सके.