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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ओला, उबर, रैपिडो पर लगा प्रतिबंध हटाया

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Karnataka High Court Stays Service Ban On Ola, Uber, Rapido Karnataka High Court ordered the state officials to not take any coercive action against the auto aggregators until it submits a report within 10 to 15 days about the additional service charge.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के अधिकारियों को इन कंपनियों के खिलाफ तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया, जब तक कि वह अतिरिक्त सेवा शुल्क के बारे में 10 से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट जमा नहीं कर देते.
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द्वारा कारएंडबाइक टीम

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प्रकाशित अक्तूबर 16, 2022

हाइलाइट्स

    कर्नाटक में ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों को ग्राहकों से जबरन वसूली के आरोप में राज्य परिवहन विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से बड़ी राहत मिली है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने परिवहन विभाग द्वारा दिए गए आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है और राज्य सरकार को संबंधित कानून के अनुसार किराया तय करने का आदेश दिया है. इसके अलावा, अदालत ने राज्य के अधिकारियों को इन कंपनियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है, जब तक कि वह अतिरिक्त सेवा शुल्क के बारे में 10 से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट नहीं देते.

    Rapido

    इस मामले में रैपिडो ने याचिका दायर नहीं की थी.

    “हम अदालत के आदेश का स्वागत करते हैं, जो मानती है कि ऑटो चालकों को एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का अधिकार है. वह यह भी मानती है कि उबर जैसे प्लेटफॉर्म बुकिंग शुल्क ले सकते हैं, जो उन्हें अपनी लागतों को कवर करने और अपनी सेवाएं देना जारी रखने की अनुमति देता है, "उबर ने एक बयान में कहा.

    यह भी पढ़ें: कर्नाटक में ओला, उबर, रैपिडो को तिपहिया वाहन चलाने के लिए अलग लाइसेंस की होगी आवश्यकता

    इसके अलावा, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इन कंपनियो को सुविधा शुल्क के रूप में कुल किराए पर 10 प्रतिशत सेवा शुल्क और 5 प्रतिशत जीएसटी लेने की अनुमति दी है. इससे पहले, यह कंपनियां सुविधा शुल्क के रूप में प्रति सवारी रु 40 वसूल रही थीं.

    ओला और उबर दोनों के कानूनी प्रतिनिधियों ने तर्क दिया कि कर्नाटक परिवहन विभाग द्वारा 6 अक्टूबर का नोटिस कर्नाटक ऑन-डिमांड ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी एग्रीगेटर नियम, 2016 के अनुसार ऑटो चालकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है. बेंगलुरु स्थित बाइक टैक्सी एग्रीगेटर और लॉजिस्टिक्स सेवा कंपनी रैपिडो ने याचिका दायर नहीं की थी.

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