शहर बदलने पर नहीं बदलना होगा वाहन का नंबर, नया प्रस्ताव ला सकता है बड़ा बदलाव

हाइलाइट्स
सड़क परिवहन एवं हाईवे मंत्रालय ने रक्षा अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों और अन्य अफसर जिनका लगातार ट्रांसफर होता रहता है और काम के चलते अलग-अलग राज्यों में जाना होता है, उनके लिए नए नियमों का प्रस्ताव रखा है. नए नियम में ऐसे कर्मचारियों/अधिकारियों के वाहनों का रजिस्ट्रेशन दोबारा करने का प्रस्ताव रखा गया है जहां वाहन की लायसेंस प्लेट पर “IN” पहचान दी जाएगी और अंतरिम रूप से इसका पायलेट टेस्ट किया जाएगा. ऐसे में अभी हमारे पास इस रिपोर्ट की साफ जानकारी उपलब्ध नहीं है. संभव है कि ऐसे वाहनों को किसी निश्चित राज्य की जगह केंद्र का रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाए.

इस बयान में कहा गया है कि, “IN सीरीज़ के अंतर्गत वाहन रजिस्ट्रेशन के दायरे में फैसिलिटी डिफेंस अधिकारी, केंद्र सरकार, राज्य सरकार के कर्मचारी, केंद्र और राज्य पीसीयू और प्राइवेट सैक्टर की कंपनियां और ऑर्गेनाइज़ेशन, जिनके दफ्तर 5 से ज़्यादा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद हैं. मोटर वाहन टैक्स दो साल या इससे गगुणत्मक संख्या में वसूला जाएगा.” इन वाहनों पर रोड टैक्स की वसूली और बाकी आरटीओ शुल्क पर अबतक कुछ साफ जानकारी नहीं मिली है. यह भी स्पष्ट नहीं है कि इन वाहनों का शुल्क राज्य सरकार द्वारा वसूला जाएगा, अथवा केंद्र सीधे इस को वसूलेगी.
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इस बयान के अनुसार, निजी वाहन बिना किसी झंझट के एक राज्य से दूसरे राज्य में चल सकेंगे. बार-बार ट्रांसफर होने पर दूसरे राज्य में शिफ्ट होने सरकारी और निजी दोनों तरह के कर्मचारियों को वाहन के दस्तावेज़ों के मौजूदा राज्य में स्थानांतरण की बड़ी चिंता होती है. सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम ऐसे बहुत सारे लोगों को मदद पहुंचाएगा जिसमें वाहन एक राज्य से दूसरे राज्य बिना किसी कागज़ी कार्यवाही के इस्तेमाल किए जा सकेंगे. मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर स्टेकहोल्डर्स की टिप्पणियों के लिए भी व्यवस्था की है.