फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाले वाहनों का निर्माण करें वाहन निर्माता नितिन गडकरी की सलाह

हाइलाइट्स
वैकल्पिक ईंधन और फ्लेक्स फ्यूल टेक्नोलॉजी के लिए सरकार का जोर है इस बात को तो हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन आगे बढ़ते हुए अब इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाने की संभावना है. भारत के पेट्रोलियम आयात को कम करने के लिए सरकार ने वाहन निर्माताओं को सलाह दी है कि उन्हें अब से 6 महीनों में बीएस -6 मानदंडों का अनुपालन करने वाले फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों और फ्लेक्स-फ्यूल मजबूत हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण कार्य शुरू करना चाहिए. सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री (MoRTH) नितिन गडकरी ने कहा कि इस कदम से वाहनों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी कमी आएगी और बदले में देश को COP26 प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.

लगभग आधे दशक से गडकरी पर्यावरण के लिए वैकल्पिक ईंधन के लाभों की वकालत करते रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि कैसे ये पारंपरिक ईधन के मुकाबले सस्ते हैं. मंत्री भारत में वाहन निर्माताओं से अनुरोध कर रहे थे कि वे मेथनॉल और इथेनॉल जैसे प्राकृतिक गैस विकल्पों पर स्विच करें या उन्हें शामिल करें जो सामान्य ईधन की तुलना में कम प्रदूषणकारी हैं. जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं, गडकरी फ्लेक्स इंजन बनाने की योजना बना रहे हैं जो भारत में अनिवार्य रूप से एक से अधिक ईंधन पर चल सकते हैं.
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अब ऑटो उद्योग एकमात्र ऐसा क्षेत्र नहीं है जो वैकल्पिक ईंधन के उपयोग पर जोर दे रहा है. मेथनॉल रसोई गैस का भी विकल्प है और इससे पहले नीति आयोग मेथनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात कर चुका है. नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने पहले ईंधन के रूप में मेथनॉल के विकास के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये निवेश करने का विचार रखा था. जानकारी के लिए बता दें भारतीय मानक ब्यूरो ने 2017 में मेथनॉल को ईंधन के रूप में प्रमाणित किया था.
Last Updated on December 29, 2021