सरकार ने निजी निवेश के साथ इलैक्ट्रिक बसों को चलाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया
हाइलाइट्स
हम पहले से ही जानते हैं कि इलैक्ट्रिक वाहनों के लिए बनी फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलैक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) स्कीम का का दूसरा चरण मुख्य रूप से सार्वजनिक परिवहन पर केंद्रित है. देश के सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पिछले कुछ समय से इलैक्ट्रिक बसों को बढ़ावा दे रहे हैं और अब उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के लिए निजी निवेश को आमंत्रित किया है. एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चौथे यूआईटीपी इंडिया बस सेमिनार में बस परिवहन उद्योग को संबोधित करते हुए गडकरी ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से नए पायलट प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया है.
जून में, भारी उद्योग मंत्रालय ने इलैक्ट्रिक वाहनों की FAME II योजना की वैधता को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया था.
"अगर कोई भारत में निवेश करने के लिए तैयार है, तो हम उन्हें एक शहर के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट दे सकते हैं, जहां वह बिजली से अपनी बसें चला सकते हैं. बिजली के माध्यम से बसें चलाने से उन्हें डीज़ल की तुलना में बेहतर मुनाफा मिलेगा, हालांकि टिकट दर नही बदलेगी. डीज़ल और बिजली के बीच की बचत के कारण यह एक आकर्षक विकल्प है" गडकरी ने कहा. साथ ही यह भी कहा कि "इलैक्ट्रिक या रेल बसों की ट्राली बसें भारत में शुरू की जा सकती हैं. हमें तकनीकी रूप से यह पता लगाना होगा कि क्या हम ट्रकों को भी इसी तरह से ले जा सकते हैं."
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स्कीम के तहत सभी पंजीकृत कंपनियां अब 30 सितंबर, 2020 तक लाभ प्राप्त कर सकेंगी.
जून में, भारी उद्योग मंत्रालय ने इलैक्ट्रिक वाहनों की FAME II योजना की वैधता को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया था. स्कीम के तहत सभी पंजीकृत कंपनियां अब 30 सितंबर, 2020 तक लाभ प्राप्त कर सकेंगी. यह विस्तार 01 जुलाई, 2020 से सभी इलैक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहनों पर लागू होगा. हालांकि, इलैक्ट्रिक बसों जैसे बड़े ईवी के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है.