खतरनाक प्रदूषण स्तरों के कारण दिल्ली-एनसीआर में पुराने डीजल वाहनों पर लगा प्रतिबंध
हाइलाइट्स
वायु गुणवत्ता मैनेजमेंट आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के अंतिम चरण के तहत प्रदूषण रोकने के उपायों के तहत कारों, एसयूवी और कॉर्मशियल वाहनों सहित डीजल से चलने वाले हल्के मोटर वाहनों (LMV) के चलने पर दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंध लगा दिया है. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर 'गंभीर प्लस' श्रेणी में पहुंचने के बाद यह निर्णय लिया गया. प्रतिबंध उन डीजल कॉर्मशियल वाहनों पर लागू किया गया है, जो बीएस3 और बीएस4 मानकों का अनुपालन करते हैं और यह बीएस6 मानकों का पालन करने वाले वाहनों पर लागू नहीं होता है.आवश्यक और आपातकालीन सेवा वाहनों या सीएनजी पर चलने वाले वाहनों को भी प्रतिबंध से छूट दी गई है.
यह भी पढ़ें: 30,000 डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की तैयारी में है सरकार: रिपोर्ट
आदेश में कहा गया है, "बीएस-VI वाहनों और आवश्यक / आपातकालीन सेवाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों को छोड़कर, दिल्ली के एनसीटी और दिल्ली की सीमा से लगे एनसीआर के जिलों में 4-व्हीलर डीजल एलएमवी के चलने पर प्रतिबंध है."
वायु गुणवत्ता पैनल ने दिल्ली और आसपास के एनसीआर जिलों में स्वच्छ ईंधन पर न चलने वाले सभी उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया. इसके अलावा, आवश्यक सामान ले जाने वाले या सीएनजी और इलेक्ट्रिक पर चलने वालों को छोड़कर ट्रकों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर में सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे राजमार्ग, फ्लाईओवर, पॉवर ट्रांसमिशन, पाइपलाइनों में निर्माण कार्यों रोक दिया गया है.
वायु गुणवत्ता आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू कर सकती हैं. न केवल कार्यालय बल्कि दिल्ली के स्कूलों ने छात्रों की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय पहले ही लागू कर दिए हैं. इसमें बाहरी गतिविधियों को स्थगित करना और क्लास में सांस लेने के लिए व्यायाम शुरू करना शामिल है.
दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गुरुवार सुबह 458 था. पंजाब में किसानों द्वारा अपने खेतों में पराली जलाने की भी खबरें हैं, जिससे आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार की उम्मीदें कम हो रही हैं.