carandbike logo

बिना FASTag वाले वाहनों से दोगुना टोल टैक्स वसूलने पर हाईकोर्ट ने NHAI से जवाब मांगा

clock-icon

2 मिनट पढ़े

हमें फॉलो करें

google-news-icon
HC Asks NHAI To Respond To Plea Challenging Collection Of Double Toll Tax From Vehicles Without FASTag
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और केंद्र से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें बिना FASTag वाले वाहनों के लिए दोगुना टोल टैक्स चुकाने को अनिवार्य बनाने वाले नियम को चुनौती दी गई है.
author

द्वारा ऋषभ परमार

Calendar-icon

प्रकाशित दिसंबर 26, 2022

हाइलाइट्स

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और केंद्र से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें बिना FASTag वाले वाहनों के लिए दोगुना टोल टैक्स चुकाने को अनिवार्य बनाने के नियम को चुनौती दी गई है.

    मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका पर NHAI और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ((MoRT&H) को नोटिस जारी किया, जिसमें तर्क दिया गया था कि यह नियम भेदभावपूर्ण, मनमाना और जनहित के खिलाफ है क्योंकि यह NHAI को अधिकार देता है, यदि नकद में भुगतान किया जाए तो वह दोगुनी दर से टोल वसूल कर सकते हैं.

    यह भी पढ़ें: ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडिंग कैमरा से जल्द शुरू होगा टोल का भुगतान, फास्टैग सिस्टम होगा खत्म

    उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और मामले को 18 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया.

    याचिकाकर्ता रविंदर त्यागी का मामला अधिवक्ता प्रवीण अग्रवाल द्वारा दाखिल किया गया है, इसमें उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) संशोधन नियम, 2020 को MoRT&H पत्रों और NHAI परिपत्र के साथ पढ़ने के प्रावधान को रद्द करने की मांग की है, जिसके कारण यात्रियों को अपने वाहनों पर FASTag के बिना दोगुना टोल टैक्स देना पड़ता है.

    3cmc145

    FASTag एक ऐसा उपकरण है जो वाहन के चलने के दौरान सीधे टोल भुगतान करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करता है. FASTag (RFID टैग) वाहन के विंडस्क्रीन पर चिपका होता है और ग्राहक को टोल भुगतान सीधे उस खाते से करने में सक्षम बनाता है जो इससे जुड़ा हुआ है.

    याचिका में कहा गया है कि ये नियम और सर्कुलर सभी टोल लेन को 100 प्रतिशत फास्टैग लेन में बदल देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जिन यात्रियों के पास कार्यात्मक फास्टैग नहीं है, उन्हें टोल राशि का दोगुना भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

    याचिकाकर्ता, एक वकील ने दावा किया कि नकद में दोगुना टोल चुकाने की मजबूरी के कारण उसे अपनी कार में फास्टैग डिवाइस लगाने के लिए मजबूर किया गया था.

    e84d3a9

    उन्होंने कहा कि फास्टैग लगाने से पहले उन्होंने दोगुनी दर से टोल टैक्स चुकाया था. उन्होंने यात्रियों की पीड़ा का उल्लेख किया जो उन्होंने दिल्ली से हरियाणा में फरीदाबाद की अपनी यात्रा के दौरान देखी.

    याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने NHAI और संबंधित मंत्रालय से इस मामले को लेकर अपनी बात रखी थी, लेकिन वह उधर से आए जवाब से संतुष्ट नहीं था जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

    उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उल्लंघन बताते हुए डबल टोल टैक्स वसूलने की प्रथा को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की.

    Stay updated with automotive news and reviews right at your fingertips through carandbike.com's WhatsApp Channel.

    अपकमिंग मॉडल