IIT-मद्रास में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नई तकनीक की जिंक-एयर बैटरी बनाने पर चल रहा काम
हाइलाइट्स
डॉ अरविंद कुमार चंडीरन के नेतृत्व में आईआईटी-मद्रास की एक रिसर्च टीम ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जिंक-एयर बैटरी के लिए पेटेंट दायर किया है. जिंक-एयर बैटरी के बारे में कहा जाता है कि यह लिथियम-आयन बैटरी की तुलना ज़्यादा समय तक चलती हैं और अधिक किफायती भी होती हैं. टीम का कहना है कि जिंक-एयर बैटरियों का उपयोग दुपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए किया जा सकता है. IIT मद्रास की टीम के मुताबिक लिथियम आयन बैटरी भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. लिथियम की उपलब्धता भी आगे चलकर एक मुद्दा होगा, जबकि जिंक पर्याप्त मात्रा में है.
भारत जिंक और मैंगनीज दोनों के उत्पादन में शीर्ष 5 देशों में शुमार है, यही दो तत्व जो जिंक बैटरी के निर्माण के लिए आवश्यक हैं.
डॉ. चंडीरा रसायन विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं और कहते हैं कि जिंक-एयर बैटरियों में एक 'जिंक कैसेट' होगा, जिसे खाली बैटरी में बदला जा सकता है. यह बैटरी स्वैपिंग तकनीक जैसे ही काम करता है, बस पूरी बैटरी की अदला-बदली करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि रिसर्च का एक उद्देश्य वर्तमान तकनीक की कमियों की पहचान करना और उन्हें सुधारने के लिए समाधान करना है. फिल्हाल टीम जिंक-एयर सेल के निर्माण पर काम कर रही है और फिर जिंक-एयर बैटरी बनाने पर काम करेगी.
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जिंक बैटरियों के साथ लाभ यह है कि वे लिथियम-आयन बैटरी की की तुलना में से हल्की और सस्ती होने के अलावा कम अस्थिर भी हैं. साथ ही, भारत जिंक और मैंगनीज दोनों के उत्पादन में शीर्ष 5 देशों में शुमार है, यही दो तत्व जो जिंक बैटरी के निर्माण के लिए आवश्यक हैं. आईआईटी-मद्रास की टीम पेट्रोल पंपों की तरह जिंक रिचार्ज स्टेशन लगाने की भी योजना बना रही है, जहां कैसेट की अदला-बदली की जा सकती है.