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इग्निस, एस-प्रेसो, स्विफ्ट को नए ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में 1 स्टार की रेटिंग मिली

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Maruti Suzuki Ignis, S-Presso, Swift Receive Just One Star In Latest Round Of Global NCAP Crash Tests
साइड और साइड पोल इम्पैक्ट सहित अधिक कड़े टेस्ट को शामिल करने के लिए टेस्ट का नया दौर दूसरा राउंड था.
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द्वारा ऋषभ परमार

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प्रकाशित दिसंबर 12, 2022

हाइलाइट्स

    मारुति सुजुकी एस-प्रेसो, इग्निस और स्विफ्ट का भारत के लिए सुरक्षित कारों के अभियान के तहत ग्लोबल एनकैप द्वारा क्रैश टेस्ट करवाया गया. तीनों ही कारों को भारत में बनाया गया है और लैटिन अमेरिका और अफ्रीका सहित विभिन्न बाजारों में निर्यात किया जाता है. यह पहली बार नहीं है, जब कंपनी ने एस-प्रेसो और स्विफ्ट के मेड-इन-इंडिया मॉडल का क्रैश-टेस्ट किया है. इससे पहले भी इन कारों का टेस्ट हुआ था और उस वक्त भी इन्हें निराशाजनक सुरक्षा ही रेटिंग ही मिली थीं. हम निराशाजनक कह रहे हैं क्योंकि तीनों कारों को ग्लोबल एनकैप से 1-स्टार रेटिंग मिली है, लेकिन अंतर यह है कि इस बार इन कारों का टेस्ट अधिक कड़े नियमों और मानदंडों के तहत किया गया है.

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    ग्लोबल एनकैप के महासचिव अलेजांद्रो फुरास ने कहा, "ग्लोबल एनकैप महिंद्रा को सुरक्षा के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता दिखाने और हमारे नए अधिक कड़े क्रैश टेस्ट प्रोटोकॉल के तहत कार के लिए 5 स्टार रेटिंग हासिल करने पर बधाई देता है." हालांकि, सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि भारत की सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी के वाली कंपनी मारुति सुजुकी, अभी भी ऐसे खराब प्रदर्शन वाले मॉडल पेश कर रही है, जो वैकल्पिक फीचर्स के तौर पर भी भारत में उपभोक्ताओं के लिए कुछ प्रमुख सुरक्षा प्रणालियां भी उपलब्ध नहीं कराती है.

    Maruti

    ग्लोबल एनकैप ने कहा कि तीनों मारुति ने सामने से टकराने की स्थिति में अस्थिर संरचनाओं के साथ-साथ मानक या विकल्प के रूप में साइड एयरबैग और ईएससी की कमी का प्रदर्शन किया.

    फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में ग्लोबल एनकैप ने पाया कि स्विफ्ट ने चालक और यात्री के सिर और गर्दन को अच्छी सुरक्षा प्रदान की. ड्राइवर के चेस्ट के लिए सुरक्षा कमजोर थी, जबकि पैसेंजर के लिए पर्याप्त थी.ड्राइवर के घुटनों और यात्री के दाहिने घुटने ने मामूली सुरक्षा दिखाई क्योंकि वे डैशबोर्ड के पीछे खतरनाक संरचनाओं के संपर्क में आ सकते थे, जबकि यात्री के बाएं घुटने ने अच्छी सुरक्षा दिखाई. साइड इम्पैक्ट टेस्ट में सिर, पेट और एब्डॉमन की सुरक्षा अच्छी थी, लेकिन छाती की सुरक्षा खराब आंकी गई थी.

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    चाइल्ड ऑक्यूपेंट सुरक्षा की बात करें तो, चाइल्ड सीट में तीन साल के बच्चे को दी जाने वाली सुरक्षा ने सिर की अच्छी सुरक्षा दिखाई, हालांकि छाती की सुरक्षा मामूली थी. इस बीच 18 महीने की डमी ने बच्चों की सीट आगे की ओर होने के कारण सिर और छाती की सुरक्षा के साथ खराब परिणामों का खुलासा किया. एजेंसी ने चाइल्ड सीट को सुरक्षित रूप से स्थापित करने के लिए यात्री एयरबैग डिएक्टिवेशन स्विच की कमी पर भी ध्यान दिया.

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    इस बीच एस-प्रेसो ने फ्रंट इम्पैक्ट में खराब ड्राइवर चेस्ट प्रोटेक्शन की पेशकश की, हालांकि,अन्य क्षेत्रों के लिए सुरक्षा  अच्छे और मार्जिनल के बीच थी.  साइड इम्पैक्ट टेस्ट में सिर और छाती को मामूली सुरक्षा मिली, जबकि यहां सुरक्षा उपायों की कमी के कारण साइड पोल इम्पैक्ट टेस्ट नहीं किया गया.

    बच्चों के लिए ग्लोबल एनकैप ने यह ध्यान दिया की निर्माता किसी भी बाल संयम प्रणाली (सीआरएस) के साथ नहीं आता है, इसलिए उसे कोई गतिशील अंक नहीं दिया जाता. इसके अलावा आगे की सीट पर बैठने वाले तीन साल के बच्चे के आगे की ओर अत्यधिक जोर से टकराने की गुंजाइश भी थी. इस बीच पीछे की ओर वाली चाइल्ड सीट में 18 महीने की डमी ने सिर की अच्छी सुरक्षा दिखाई लेकिन छाती की खराब सुरक्षा की पेशकश की. 

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    इग्निस ने सामने से टक्कर पर अच्छे से लेकर कमजोर स्तर तक की सुरक्षा प्रदान की, जबकि साइड-इफेक्ट टेस्ट से खराब छाती और कमजोर सिर की सुरक्षा का पता चला. पोल प्रभाव टेस्ट नहीं किया गया था. यहां भी ग्लोबल एनकैप ने निर्माता की कार में सीआरएस की कमी को नोट किया. एजेंसी ने हालांकि, ध्यान दिया कि 3 साल के बच्चे के लिए आगे की ओर वाली सीट और 18 महीने के बच्चे के लिए पीछे की ओर वाली सीट सामने के प्रभाव के दौरान सिर के संपर्क को रोकने में सक्षम थी और अच्छे स्तर की सुरक्षा प्रदान करती थी.

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