महाराष्ट्र के नागपुर में कचरे से बायो-सीएनजी गैस का होगा निर्माण
हाइलाइट्स
नागपुर नगर निगम कचरे से बायो-सीएनजी गैस और ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा. निगम के मुताबिक इस काम में किसी भी प्रकार की अतिरिक्त लागत की आवश्यकता नहीं होगी. नगर निकाय बायो-सीएनजी निकालने के लिए लगभग 1,050 मीट्रिक टन कचरे का उपयोग करेगा. नागपुर नगर निगम हर दिन नीदरलैंड की एक कंपनी को 1,000 मीट्रिक टन गीला और सूखा कचरा सप्लाय करेगी और यह कंपनी अपना प्लांट स्थापित करने के लिए 25 एकड़ जमीन खरीदेगी और संचालन और रखरखाव लागत का भी ख्याल रखेगी. इतना ही नहीं बदले में, कंपनी ने नागपुर नगर निगम के साथ कुछ राजस्व साझा करने का भी आश्वासन दिया है.
यह भी पढ़ें : टाटा मोटर्स ने टियागो और टिगोर सीएनजी के लॉन्च की तारीख़ का ऐलान किया
नागपुर के मेयर दयाशंकर तिवारी ने बताया कि सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री - नितिन गडकरी हमेशा से बायो-ईंधन से होने वाले लाभों की वकालत करते रहे हैं. कचरे से बायो-सीएनजी का उत्पादन करने का विचार उन्हें कंपनी द्वारा प्रस्तावित किया गया था. चेन्नई की एक कंपनी ने 50 मीट्रिक टन कचरे से हरी हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एक प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है. नागपुर के मेयर ने आगे कहा, "हमें (नीरी) नेशनल एनवॉयरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा सत्यापित दो परियोजनाएं मिली हैं, जिसके लिए पुष्टि की गई है कि यह कार्य करने योग्य हैं."
सरकार सीएनजी और अन्य वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है. 2019 में, रांची, झारखंड में सीएनजी से चलने वाले निजी और कार्मशियल वाहनों की रिफिलिंग के लिए सीएनजी स्टेशनों का भी उद्घाटन किया गया था. गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) रांची और जमशेदपुर में प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा और सहर गैस वितरण परियोजना के तहत सीएनजी वितरण पर काम कर रही है. गेल अगले कुछ वर्षों में 75,000 सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए रांची में 11 और सीएनजी स्टेशन भी स्थापित करेगा.
Last Updated on January 10, 2022