देश में अधिक स्क्रैपेज केंद्रों की आवश्यकता, पार्ट्स की लागत कम कर सकते हैं: नितिन गडकरी
हाइलाइट्स
भारतीय ऑटो क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2021 की शुरुआत में संसद में वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा की गई थी, जो महामारी फैलने के बाद से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहा है. अनुमान यह था कि स्क्रैपेज नीति से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में 30 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि हो सकती है, जिसमें पार्ट्स की लागत में बड़ी कमी आएगी. 62वें वार्षिक सियाम सम्मेलन में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने कहा कि पिल्हाल देश में 1 करोड़ 2 लाख वाहनों को स्क्रैप करने की क्षमता है, लेकिन अधिक केंद्रों की आवश्यकता है.
फिल्हाल देश में 1 करोड़ 2 लाख वाहनों को स्क्रैप करने की क्षमता है.
गडकरी ने कहा, "हमारे पास एक जिले में कम से कम तीन स्क्रैपिंग केंद्र शुरू करने की क्षमता है. विशेष रूप से यह सबसे महत्वपूर्ण होगा क्योंकि स्क्रैपिंग सेंटर में कॉपर, एल्युमिनियम, स्टील, रबर और प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल मिलेगा, जिसकी रिसाइकलिंग करके पार्ट्स की कीमत में 30 फीसदी तक की कमी आ सकती हैं. मुझे लगता है कि यह वह समय है जब ऑटोमोबाइल उद्योग यदि अलग-अलग जिलों में अपना स्क्रैपिंग केंद्र बना सकें और यदि आप अपने पार्ट्स के लिए उस कच्चे माल का उपयोग कर सकते हैं तो इसकी लागत कम हो सकती है."
यह भी पढ़ें: वैश्विक ऑटो ब्रांड भारत में प्रवेश करने के लिए सही साथी की तलाश में: सरकार
गडकरी ने कहा कि स्क्रैपेज से दो गुना लाभ होगा, एक पर्यावरण के दृष्टिकोण से और दूसरा यह है कि वाहनों से ऑटोमोटिव पार्ट्स का दोबार् उपयोग और रीसाइक्लिंग करके, लागत को काफी कम किया जा सकता है.