पहाड़ी सड़कों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत नए रोलिंग बैरियर लगाए गए
हाइलाइट्स
भारत को हिमाचल प्रदेश में एक पायलट परियोजना के तहत अपना पहला रोलिंग बैरियर रेलिंग सेट-अप मिला है. पहाड़ी सड़कों पर दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के लिए नाहन और कुमारहट्टी के बीच NH 907A पर बैरियर लगाया गया है. सड़क और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विटर पर इसकी घोषणा की.
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रोलिंग बैरियर बहुत नई तकनीक नहीं है, ऑस्ट्रेलिया स्थित KSI ग्लोबल ने पहली बार 2014 में तकनीक का परीक्षण किया था और एक दक्षिण कोरियाई कंपनी ETI ने 2016 में इसी तरह के रोलिंग बैरियर रेलिंग पर किए गए परीक्षणों का विवरण साझा किया था. रोलिंग बैरियर के कॉन्सेप्ट में रेलिंग के प्रभाव बल को कम करने और विक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो घातक चोटों की संभावना को कम कर देगा, जबकि स्थिर बाधाओं के खिलाफ प्रभाव की पूरी ताकत लगाता है.
अलग-अलग रोलर्स की घूर्णी वाहन की गति के प्रभाव के बल को कम करने के साथ-साथ वाहन को यातायात के बाद के प्रभाव से पलटने से रोकने की कोशिश करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. गडकरी ने ट्वीट करते हुए कहा कि पायलट प्रोजेक्ट इस बात की वास्तविक दुनिया की परीक्षा होगी कि प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय राजमार्ग के उस हिस्से पर सड़क सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगी, जिसका प्राथमिक उपयोग पहाड़ी सड़कों पर होने वाली मौतों को कम करना है. यदि सफल साबित होता है तो हम देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के अन्य पहाड़ी वर्गों में भी रोलिंग बैरियर देख सकते हैं.
Last Updated on March 30, 2022