हाईवे पर दुर्घटनाएं कम करने के लिए शुरू हुआ जागरूकता अभियान
हाइलाइट्स
केंद्र सरकार एक नए जागरूकता अभियान के समर्थन में सामने आई है जिसका उद्देश्य भारतीय राजमार्गों पर दर्ज होने वाली घातक घटनाओं को कम करना है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा शुरू किया गया यह अभियान मानव और पशु मृत्यु दर दोनों आंकड़ों की रोकथाम करने की काशिश करेगा. भारत हर साल लगभग पांच लाख सड़क दुर्घटनाओं का गवाह बनता है, जिसमें लगभग 1.5 लाख जानें चली जाती है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य 31 मार्च 2021 तक इन आंकड़ों को 20-25 प्रतिशत तक कम करना है.
सरकार का 31 मार्च 2021 तक राजमार्ग की मृत्यु दर में 20-25 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य है.
मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों के विभिन्न हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कई सड़क सुरक्षा उपायों पर काम चल रहा है. इनमें ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करना, ट्रैफ़िक को शांत करना और क्रैश बैरियर बनाने जैसी कई पहल की जा रही हैं. सरकार के हिसाब से पांच हज़ार से अधिक ब्लैक स्पॉट्स को सुधारा गया है और अस्थायी और स्थायी उपायों सहित उनके सुधार के लिए प्रक्रिया जारी है.
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सड़कों पर जानवरों के लिए ब्लैक स्पॉट्स की जानकारी भी मांगी जा रही है.
सरकार ने सड़कों पर जानवरों के लिए ब्लैक स्पॉट्स की जानकारी हासिल करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों से भी अनुरोध किया है. गडकरी ने कहा, "हम पशु उपयोग के लिए बुनियादी ढांचा बनाने पर अच्छी मात्रा में खर्च कर रहे हैं." उन्होंने नागपुर-जबलपुर राजमार्ग का उल्लेख किया, जहां बाघों को मार्ग अधिकार (राइट-ऑफ-वे) देने के लिए 1,300 करोड़ रुपये की लागत से पुल (वाया-डक्ट) बनाए गए हैं. इसी प्रकार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा आदि के वन क्षेत्रों में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है. इनमें पशुओं के विचरण, अंडरपास के निर्माण, एलिवेटेड कॉरिडोर (ऊंचे गलियारे) आदि के अनुकूल सड़क इंजीनियरिंग का अध्ययन करना शामिल है.