फेम प्रोत्साहन को 2027 तक बढ़ाया जाए निजी इलेक्ट्रिक कारों पर भी मिले सब्सिडी, संसदीय समिति
हाइलाइट्स
पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग पर विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति द्वारा पेश की गई एक नई रिपोर्ट में बैटरी से चलने वाले वाहनों के दायरे में विस्तार के साथ-साथ प्रोत्साहन के विस्तार का सुझाव दिया गया है. 20 दिसंबर को लोकसभा में पेश की गई 324वीं रिपोर्ट में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) योजना को 2027 तक 'कम से कम तीन और साल' तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है, और अधिक और कई प्रकार के ईवी की मांग की गई है - निजी स्वामित्व वाली इलेक्ट्रिक कारों को भी सब्सिडी योजना के तहत शामिल किया जाएगा.
सरकार को 'चार-पहिया श्रेणी में ईवी के लिए समर्थन को बढ़ाना चाहिए और वाहन की लागत और बैटरी क्षमता के आधार पर एक सीमा के साथ FAME-II योजना के क्षेत्र में निजी ई-फोर-व्हीलर्स वाहनों को भी शामिल करना चाहिए', रिपोर्ट सिफ़ारिश करती है.
वर्तमान में, केवल व्यावसायिक उपयोग वाली इलेक्ट्रिक कारों को FAME-II के तहत प्रोत्साहन दिया जाता है, और केवल ₹15 लाख या उससे कम की (एक्स-फैक्ट्री) कीमत वाले मॉडल ही पात्र हैं. मूल रूप से, इस योजना की कल्पना 55,000 इलेक्ट्रिक कारों को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी, लेकिन बाद में लक्ष्य को संशोधित कर केवल 11,000 कारों तक सीमित कर दिया गया, रिपोर्ट में कहा गया है कि 'देश के ऑटोमोटिव क्षेत्र में चार पहिया वाहनों की हिस्सेदारी भी महत्वपूर्ण है."
अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्ल्ड इकनॉमिक फॉरम की रिपोर्ट बताती है कि 1 जून 2023 में सब्सिडी की कटौती ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों और उनकी बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव डाला है.' जून की शुरुआत में, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर कुल सब्सिडी ₹15,000 प्रति किलोवाट बैटरी क्षमता से घटाकर ₹10,000 कर दी गई थी, और एक मॉडल की (एक्स-फैक्ट्री) कीमत के 15 प्रतिशत पर सीमित कर दी गई थी, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में पर्याप्त वृद्धि हुई थी.
यह स्वीकार करते हुए कि बजट की कमी के कारण FAME-II योजना के तहत धन के पुन:आवंटन और लक्ष्यों में बदलाव की आवश्यकता है, रिपोर्ट इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए फुल सब्सिडी बहाल करने की सिफारिश करती है और, यदि आवश्यक हो, तो 'परियोजना की गति को बनाए रखने के लिए बजट आवंटन में वृद्धि की जाए, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के बाज़ार से 2030 तक अच्छा लक्ष्य हासिल किया जा सके.
रिपोर्ट में अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक क्वाड्रिसाइकिल पर सब्सिडी देने की योजना का दायरा बढ़ाना, लिथियम-आयन बैटरी पर माल और सर्विस टैक्स (जीएसटी) को कम करना, ईवी के लिए सड़क टैक्स में कटौती, उपनगरीय में चार्जिंग स्टेशन लगाना शामिल है, और ग्रामीण क्षेत्रों में एक स्थिर बैटरी स्वैपिंग नीति का निर्माण, और आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80EEB का विस्तार, जो किसी व्यक्ति को 31 मार्च 2025 तक ईवी खरीदने के उपरान्त लोन पर ₹1.50 लाख तक के टैक्स की बचत का दावा करने की अनुमति देता है.
संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें ऐसे समय में आई हैं जब FAME योजना के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, प्रस्तावित विस्तार - जिसे 'FAME-III' कहा जाता है - कथित तौर पर अधिकारियों का समर्थन पाने के लिए संघर्ष कर रहा है. यदि FAME-II योजना, जो 31 मार्च, 2024 को समाप्त हो रही है - को आगे नहीं बढ़ाया गया, तो ईवी पर केंद्रीय सब्सिडी पूरी तरह से वापस ले ली जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में एक और तेज वृद्धि हो सकती है, खासकर इलेक्ट्रिक स्कूटर और मोटरसाइकिलों पर.