फोर्ड और महिंद्रा का फैसला, दोनो कंपनियों के बीच साझेदारी नही बढ़ेगी आगे
हाइलाइट्स
महिंद्रा और फोर्ड ने घोषणा की है भारत में दोनो कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम को जारी नहीं रखा जाएगा. कंपनियों ने अलग-अलग बयानों में कहा कि यह निर्णय पिछले 15 महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव से प्रेरित था, जिसके कारण दोनों ने अपनी पूंजी आवंटन प्राथमिकताओं पर ध्यान दिया. साल 2019 में फोर्ड और महिंद्रा ने कहा था कि वे उभरते बाजारों के लिए वाहनों के विकास और उत्पादन की लागत में कटौती करने के लिए भारत में एक साझेदारी करेंगी. तो क्या अब इस नए फैसले के बाद दोनो के बीच किसी तरह का सहयोग नही होगा?
ऐसा नहीं है. महिंद्रा ने पहले ही प्लेटफॉर्म और यहां तक कि इंजन सांझा करने के लिए फोर्ड के साथ एक सहयोग पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे प्रोजेक्ट ब्लैक कहा गया था. महिंद्रा के ऑटो और फार्म सेक्टर के कार्यकारी निदेशक, राजेश जेजुरिकर ने कहा, “हमारी संयुक्त उद्यम योजनाएं समाप्त हो गई हैं, लेकिन हम अभी भी फोर्ड के साथ सहयोग कर सकते हैं. वास्तव में, हम इलेक्ट्रिक सेगमेंट में भागीदारों की तलाश कर रहे हैं और प्लेटफॉर्म और इंजन साझा करने की भी संभावनाएं हैं जहां दोनों कंपनियां एक साथ काम कर सकती हैं.”
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महिंद्रा के एमडी डॉ. पवन गोयनका ने कहा कंपनी ऐसे किसी भी समझौते से बाध्य नहीं है, जिसपर पहले हस्ताक्षर किए गए थे "हमने 5 क्षेत्रों में सहयोग पर हस्ताक्षर किए थे. पहला C601 प्लेटफॉर्म का विकास था जिसपर काम जारी रहेगा. दूसरा, इकोस्पोर्ट के लिए बीएस 6 पेट्रोल इंजन था, इसपर भी काफी काम हो चुका है. तीसरी कनेक्टिविटी थी और वह एक्सयूवी 500 जैसी कारों के साथ पहले से मौजूद है. चौथा मोबिलिटी सेवाओं के क्षेत्र में था और इसे पहले ही रोक दिया गया है. अंत में, एस्पायर इलेक्ट्रिक कार थी और उस काम को भी रोक दिया गया था क्योंकि निवेश बहुत बड़ा था और महिंद्रा की ईवी रणनीति में फिट नहीं था."