सरकार ने पारित किया GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम, दो साल में टोल बूथ होंगे खत्म
हाइलाइट्स
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और MSMEs के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान किया है कि भारत सरकार ने भारत में GPS आधारित टोल भुगतान के लिए मुजूरी दे दी है. गडकरी ने कहा कि सरकार के इस कदम से देशभर में वाहनों की आवाजाही बहुत आसान हो जाएगी और अगले दो साल में भारत को बिना टोल बूथ वाला देश बनाने में मदद मिलेगी. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि, GPS आधारित सिस्टम से वाहन चलाने की दूरी के हिसाब से तय रकम वाहन मालिक के खाते से सीधे काट ली जाएगी.
ASSOCHAM फाउंडेशन सप्ताह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने यह घोषणा की है जहां सभी सेक्टर्स में आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन पर वह अपनी राय दे रहे थे. अपने वक्तव्य में गडकरी ने कहा कि मार्च 2021 तक टोल कलेक्शन रु 34,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा. इसी कार्यक्रम में उन्हेंने आगे बताया कि, GPS के ज़रिए टोल शुल्क प्राप्त होने पर अगले पांच साल में यह आंकड़ा रु 1,34,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा. गडकरी ने बताया कि जहां सभी नए कमर्शियल वाहन ट्रैकिंग सिस्टम के साथ आ रहे हैं, वहीं सरकार को पुराने वाहनों में GPS लगाने के लिए कोई व्यवस्था करनी होगी.
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इस समय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय 1 जनवरी 2021 तक सभी चार-पहिया वाहनों द्वारा अनिवार्य रूप से फास्टैग इस्तेमाल किए जाने पर काम कर रही है. इसका महसद टोल शुल्क को डिजिटल रूप से वसूल करना है और यह पुराने वाहनों के लिए भी अनिवार्य किया जाएगा जिन्हें 1 दिसंबर 2017 से पहले बेचा गया है. फास्टैग एक प्रीपेड टैग है जिसमें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा चलाए जाने वाले टोल पर अपने आप राषि चुकाई जाती है. केंद्र सरकार के इस कदम से टोल प्लाज़ा पर शुल्क इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा होगा और वाहनों की आवाजाही बहुत आसान हो जाएगी.