सरकार ने पास किया 2,500 इलैक्ट्रिक बसों का टेंडर, ज़्यादातर भारत में बनी होंगी
हाइलाइट्स
तेज़ी से इलैक्ट्रिक वाहनों को अपनाया जाए इसके लिए सरकार काफी काम कर रही है और मौजूदा दौर पर अपना ध्यान इलैक्ट्रिक बसों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर केंद्रित किया है. केंद्रा और राज्य सरकारें अपने ट्रांसपोर्ट विभाग में इलैक्ट्रिक बसों को शामिल करने का प्रयास कर रही हैं और फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलैक्ट्रिक व्हीकल्स या फेम स्कीम के दूसरे दौर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को इलैक्ट्रिक बनाने का काम किया जाने वाला है. भारत सरकार ने इसके लिए 2,500 इलैक्ट्रिक बसों का टेंडर पास कर दिया है और इनमें से अधिकांश बसें मेड इन इंडिया होंगी.
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के 60वें वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारतीय निर्माता उम्दा गुणवत्ता की इलैक्ट्रिक बसों की मांग पूरी करने में सक्षम हैं. इलैक्ट्रिक वाहनों की बात करें तो आत्म निर्भर भारत की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए सरकार घरेलू निर्माताओं बड़ा मौका देना चाहती है. इलैक्ट्रिक मोबिलिटी के अलावा भारत सरकार ऑटोमोबाइल जगत की मदद भी करना चाहती है जिसके अंतर्गत निर्यात पर इंसेंटिव दिया जाएगा, क्योंकि भारतीय ऑटो बाज़ार में निर्यात को लेकर संभावनाएं काफी हैं और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
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सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी काफी समय से इलैक्ट्रिक बसों को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं और पिछले महीने ही उन्होंने एक पायलेट प्रोजैक्ट के अंतर्गत निजी निवेशकों से निवेश करने की अपील की थी. इसके अलावा हेवी इंडस्ट्रीज़ और इसके पब्लिक इंटरप्राइज़ेस विभाग ने फेम 2 स्कीम की अवधि को बढ़ाकर 3 महीने आगे कर दिया है. अब इस स्कीम के अंतर्गत सभी रजिस्टर्ड निर्माताओं को 30 सितंबर 2020 तक इस स्कीम का फायदा मिलता रहेगा.