क्या भारतीय रेल नई कारों को पहुंचाने का पसंदीदा तरीका बन रही है?
हाइलाइट्स
रेल परिवहन भारतीय मोटर वाहन उद्योग के लिए एक बहुत ही कारगर विकल्प बन रहा है. हाल के दिनों में कई कपंनियों ने कारख़ानों से गाड़ियां भेजने के लिए भारतीय रेल को चुना है. इससे पहले वाहनों को मुख्य रूप से ट्रकों द्वारा देश के हर हिस्से में भेजा जाता था और इसके कारण काफी देरी भी होती थी, जिसकी वजह थी ट्रक ख़राब होना या ज़्यादा ट्रैफिक. वहीं रेल से गाड़ियों को भेजना काफी बचत कराता है, जिसमें ईंधन की बचत और CO2 उत्सर्जन की कमी है. रेलवे अगले वित्तीय वर्ष तक ऑटोमोटिव लॉजिस्टिक्स में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी पर नजर बनाए हुए है. साथ ही हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद भी है.
मारुति सुजुकी इंडिया ने तो 2014 में वाहनों को भेजने के लिए रेलवे का उपयोग शुरू किया था.
कई ऑटोमोबाइल निर्माता पहले से ही परिवहन के इस तरीके का उपयोग कर रहे हैं, महिंद्रा ने हाल ही में, रेल परिवहन का उपयोग करके अपने वाहनों को बांग्लादेश निर्यात करने के लिए इस सेवा का लाभ लिया. मारुति सुजुकी इंडिया ने तो 2014 में वाहनों को भेजने के लिए रेलवे का उपयोग शुरू किया था और तब से कंपनी ने 1 लाख से अधिक ट्रक यात्राएं और 100 मिलियन लीटर ईंधन की बचत की है. उच्च क्षमता और नए डिजाइन वाले डबल डेक रेक को तैनात करके कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-20 में भारतीय रेलवे के माध्यम से 1.78 लाख से अधिक कारों की बिक्री की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है. यह कार निर्माता द्वारा वर्ष में दर्ज की गई कुल बिक्री का लगभग 12 प्रतिशत है.
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किआ मोटर्स इंडिया ने भी अब तक 5000 से अधिक कारों के परिवहन के लिए रेलवे का उपयोग किया है.
ह्यून्दे इंडिया भी 1999 से रेलवे नेटवर्क का उपयोग कर रही है, लेकिन 2013 के बाद से इस काम में तेज़ी आई. कंपनी के प्लांट में बनाई गई कुल 10 प्रतिशत कारें रेलवे के माध्यम से भेजी जाती हैं.