1971 की जीत के 50 सालः जावा मोटरसाइकिल ने दो नए रंगों में पेश किया स्पेशल एडिशन
हाइलाइट्स
जावा मोटरसाइकिल ने 1971 में हुए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत की जीत का जश्न मनाते हुए स्वर्णिम विजय वर्ष के मौके पर दो नए रंगों के साथ अपनी मोटरसाइकिल लॉन्च की हैं. जावा अब दो नए खास रंग - खाकी और मिडनाइट ग्रे में उपलब्ध कराई गई है जो सशस्त्र बल से प्रेरित हैं. जावा स्पेशल एडिशन की कीमत रु 1.93 लाख है जो सामान्य जावा मोटरसाइकिल रेन्ज की फोर्टी-टू से रु 15,000 और जावा क्लासिक से रु 6,000 महंगी है. ग्राहक कंपनी की वेबसाइट के ज़रिए नई मोटरसाइकिल की बुकिंग कर सकते हैं.
नए रंगों के अलावा जावा मोटरसाइकिल ने बाइक में और भी कई बदलाव किए हैं जो इसे स्पेशल एडिशन बनाते हैं. क्रोम के सारे काम को मैट ब्लैक फिनिश दिया गया है जिनमें हैडलैंप बेज़ल, सस्पेंशन फोर्क्स, इंजन और डुअल एग्ज़्हॉस्ट मफलर्स शामिल हैं. दोनों नए रंग मैट फिनिश वाले हैं और मोटरसाइकिल पर शानदार दिख रहे हैं. मॉडल को स्पेशल बनाने के लिए कंपनी ने इसकी टंकी पर तिरंगे के साथ इंडियन आर्मी का चिन्ह बनाया है. इसपर लिखा गया है कि 1971 की विजय के 50 साल पूरे होने की खुशी में, इसके बाद नीचे 1971-2021 स्पेशल एडिशन भी लिखा गया है.
तकनीक की बात करें तो जावा पहले जैसी ही है जिसके साथ 293 सीसी का सिंगल-सिलेंडर इंजन मिला है जो 26.9 बीएचपी और 27.02 एनएम पीक टॉर्क क्षमता वाला है. यह इंजन 6-स्पीड गियरबॉक्स के साथ आता है. बाइक के अगले हिस्से में भी समान टेलिस्कोपिक फोर्क्स और पिछले हिस्से में डुअल शॉकर्स दिए गए हैं. इसके अलावा अगले पहिए पर 280 मिमी डिस्क ब्रेक और पिछले पहिए पर 240 मिमी डिस्क ब्रेक लगाए गए हैं. स्पेशल एडिशन यह मोटरसाइकिल सिर्फ डुअल-चैनल एबीएस के साथ पेश की गई है. बाइक के साथ अगले हिस्से में 18-इंच और पिछले हिस्से में 17-इंच के टायर्स दिए गए हैं.
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2021 में भारत-पाकिस्तान युद्ध को 50 साल पूरे हुए हैं और मोटरसाइकिल के नए रंग भारतीय सेना के सम्मान में पेश किए गए हैं. 1971 की इंडो-पाकिस्तान जंग दोनों पूर्वी और पश्चिमी छोर से लड़ी गई थी और महज़ 13 दिन में भारत ने जीत ली थी और यह दुनिया के सबसे कम समय तक चले युद्धों में से एक है. इस जंग के बाद बांग्लादेश को आज़ादी मिली थी और पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के बाद इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना गया. इस जंग में हमारी सेना के 3,000 से ज़्यादा जवानों को शहादत मिली, वहीं 10,000 से ज़्यादा सैनिक घायल हुए थे.