भारत में यात्री वाहन सेगमेंट पिछले पांच वर्षों में सबसे कम गति से बढ़ा
हाइलाइट्स
पिछला दशक भारतीय ऑटो उद्योग के लिए आसान नहीं रहा है. तकनीक और डिजाइन के मोर्चे पर कुछ प्रमुख सफलताओं के साथ, उद्योग को कई चनौतियों का भी सामना करना पड़ा, खासकर दशक के दूसरे हिस्से में. भारतीय वाहन निर्माताओं ने इस अवधि में निश्चित रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ-साथ ज़्यादा साफ बीएस 6 मॉडल लाने जैसी बड़ी छलांग लगाई. लेकिन, बिक्री पर जीएसटी के प्रभाव, 2017- 2019 की अवधि में लंबे समय तक मंदी और COVID-19 संकट के चलते वित्त वर्ष 2014-15 से 2019-20 की अवधि में न्यूनतम विकास दर दर्ज की गई.
2017- 2019 की अवधि में ऑटो उद्योग लंबे समय तक मंदी से भी गुज़रा.
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के अनुसार, यात्री वाहन (पीवी) सेगमेंट ने पिछले पांच वर्षों की तुलना में वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2019-20 की अवधि में 1.3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की. साल 2009-10 से साल 2014-15 में विकास दर 5.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जबकि 2004-05 से 2009-10 में यह आंकड़ा 12.9 प्रतिशत था. हांलाकि, चुनौतियों के विकास दर में आई कमी को लिए अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
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पिछले पांच वर्षों में आधार उससे पिछले पांच सालों की तुलना में काफी अधिक था और वित्त वर्ष 2004-05 से वित्त वर्ष 2009-10 की अवधि की तुलना की जाए तो भी यही मामला था. और जब विकास को उच्च आधार पर मापा जाता है तो वह स्पष्ट रूप से यह कम दिखाई देगा. इसलिए, दोनों कारण - पिछले पांच वर्षों में उद्योग को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और एक उच्च आधार के चलते वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2019-20 की अवधि में विकास दर में कमी आई.