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भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए यूनेस्को और रॉयल एनफील्ड ने की साझेदारी

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UNESCO And Royal Enfield Partner To Safeguard The Intangible Cultural Heritage of India
कार्यक्रम को पश्चिमी हिमालय और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत (ICH) प्रथाओं के एक अनुभवात्मक और रचनात्मक प्रदर्शन के रूप में तैयार किया गया है.
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द्वारा ऋषभ परमार

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प्रकाशित अगस्त 23, 2022

हाइलाइट्स

    रॉयल एनफील्ड और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने हिमालय से शुरू होकर भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए हाथ मिलाया है. कार्यक्रम को पश्चिमी हिमालय और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत (ICH) प्रथाओं के एक अनुभवात्मक और रचनात्मक प्रदर्शन के रूप में तैयार किया गया है. इसमें एक प्रदर्शनी, पैनल चर्चा, फिल्म स्क्रीनिंग, प्रदर्शन और व्याख्यान-प्रदर्शन शामिल हैं. चार दिवसीय कार्यक्रम में आदिल हुसैन, पीटर डी'अस्कोली, सोनम दुबल, रीता बनर्जी, मल्लिका विर्दी और त्सेवांग नामगेल जैसे सामाजिक विकास क्षेत्र के प्रख्यात कलाकार, डिजाइनर, शेफ, मिक्सोलॉजिस्ट, संगीतकार, अभिनेता, फोटोग्राफर और दिग्गज यांगडुप लामा, निलजा वांगमो और अनुमित्र घोष शामिल होंगे. 

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    आयशर मोटर्स (रॉयल एनफील्ड की मूल कंपनी) के एमडी  और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिद्धार्थ लाल ने कहा, "हिमालय रॉयल एनफील्ड के लिए आध्यात्मिक घर है और  इस क्षेत्र के लिए हम एक स्थायी भविष्य के निर्माण की दिशा में काम करने के लिए यूनेस्को के साथ साझेदारी करके बहुत उत्साहित है. हमारे मोटरसाइकिल समुदाय के अन्य सदस्यों के वहां जाने के साथ रॉयल एनफील्ड इस प्रतिष्ठित परिदृश्य में स्थायी टूरिज़्म को बढ़ावा देने और लचीला समुदायों का निर्माण करने के लिए काम कर रहा है. इस साझेदारी के माध्यम से हम संस्कृति, ज्ञान और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देना चाहते हैं."

    विश्व स्तर पर और भारत में अपने चल रहे कार्यक्रम के हिस्से के रूप में यूनेस्को भारत की सांस्कृतिक विरासत की पहचान, दस्तावेज और संरक्षण के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है, जो उन 178 देशों में से एक है जिसने 2003 में सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को कन्वेंशन को अपनाया है. दोनों पक्षों ने यह भी कहा कि सांस्कृतिक विरासत सीधे आजीविका से जुड़ी हुई है. उदाहरण के लिए, ग्रामीण भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं बुनाई और हस्तशिल्प के उत्पादन में लगी हुई हैं और भारत का हथकरघा और शिल्प क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों में आय कमाने के लिए देश के सबसे बड़े सुविधा प्रदाता के रूप में उभरा है.

    दरअसल, टिकाऊ विकास के लिए 2030 एजेंडा यह मानता है कि संस्कृति आर्थिक विकास, खपत और उत्पादन और स्थायी बस्तियों के विकास में योगदान कर सकती है. आज, भारत के 14 तत्व यूनेस्को की मानवता की सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित हैं. रॉयल एनफील्ड का लक्ष्य 2030 तक स्थायी जीवन पद्धतियों को अपनाने के लिए 100 हिमालयी समुदायों के साथ साझेदारी करना है.

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