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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आधुनिक बैटरी तकनीक पर नीति लाएगी सरकार - गडकरी

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Government To Come Up With Policy On Advanced Battery Tech For EVs Gadkari
गडकरी ने कहा कि, नई बैटरी ना सिर्फ भारत में प्रदूशण को खत्म करेंगी, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैश्विक स्तर पर इन्हें निर्यात भी किया जाएगा.
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द्वारा कारएंडबाइक-टीम

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प्रकाशित फ़रवरी 15, 2021

हाइलाइट्स

    भारत सरकार एक नई नीति लेकर आने वाली है जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आधुनिक बैटरी तकनीक में आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी अहम बाते शामिल हैं. ये बात केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कही है. गडकरी ने कहा कि, नई जनरेशन की बैटरी ना सिर्फ भारत में प्रदूशण को खत्म करेंगी, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैश्विक स्तर पर इन्हें निर्यात भी किया जाएगा. बजाज, हीरो, टीवीएस, महिंद्रा, एमजी मोटर इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों ने देश में पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहन पेश किए हैं. एमजी मोटर इंडिया ने 2020 में 1300 इलेक्ट्रिक वाहन भी बेचे हैं, वहीं टाटा मोटर्स ने 2,000 नैक्सॉन ईवी बेची हैं, और इन कारों की मांग बढ़ती ही जा रही है.

    r1tfmgho2020 में टाटा मोटर्स ने 2,000 नैक्सॉन ईवी बेची हैं

    आधुनिक बैटरी तकनीक के इस्तेमाल से कारों की रेन्ज बढ़ेगी और बैटरी की उम्र में भी इज़ाफा होगा. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए फ्यूल सेल पर सरकार का रुख़ बिल्कुल साफ है और इस नज़रिए से भारत संभवतः विश्व गुरू बन सकता है. नितिन गडकरी ने इस मामले में एक हाई-पावर मीटिंग करी है जिसमें इंधन के विकल्प पर चर्चा की गई. इस मीटिंग में केंद्र सरकार के प्रिसिपल साइंटिफिक ऐडवाइज़र के. विजय राघवन, नीति आयोग के सीईओ, अमिताभ कांत, हाईवे सेक्रेटरी गिरिधर अरामाने और डीआरडीओ, इसरो, सीएसआईआर के अलावा आईआईटी के वरिष्ठ प्रतिनिधी शामिल हुए.

    ये भी पढ़ें : भारत का पहला सीएनजी ट्रैक्टर लॉन्च किया गया

    q32mm338लीथयम-आयन बैटरी के करीब 81% पुर्ज़े भारत में घरेलू स्तर पर उपलब्ध हैं - गडकरी

    गडकरी ने आगे बताया कि, “लीथियम-आयन बैटरी के क्षेत्र में संभावनाएं बहुत ज़्यादा हैं जिसमें अभी चीन जैसे देशों ने अपना वर्चस्व बनाया हुआ है. लीथयम-आयन बैटरी के करीब 81 प्रतिशत पुर्ज़े भारत में घरेलू स्तर पर उपलब्ध हैं और भारत के पास बहुत अच्छा मौका है जहां कम कीमत पर इस बैटरी को बेहतर से बेहतरीन बनाया जा सकता है. हमारे खनन क्षेत्र द्वारा वैश्विक स्तर पर पुर्ज़े बनाने का माल भेजना चाहिए और इस मौके का फायदा उठाना चाहिए, भले ही चीन की इस क्षेत्र में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो, लेकिन 49 प्रतिशत फिर भी बचता है जो काफी बड़ा आंकड़ा है.”

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