ऑड-ईवन स्कीम में अब शामिल नहीं दो पहिया वाहन, जानें क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नादकर्णी ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए दावा किया कि राजधानी में 68 लाख टू-व्हीलर चालक हैं. टैप कर जानें आगे क्या बोले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल?
हाइलाइट्स
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या कहें तो ग्रीन कोर्ट ने कुछ साल पहले दिल्ली में ऑड-ईवन नियम लागू किया था जिसमें राजधानी की सड़कों पर वाहनों की संख्या के घटाने और प्रदूशण को नियंत्रित करने की नीति बनाई गई थी. इस बारे में बात करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी ने बताया कि ऑड-ईवन नियम के दायरे से दो पहिया वाहनों को अलग रखा जाएगा. नादकर्णी ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए दावा किया है कि देश की राजधानी में 68 लाख टू-व्हीलर चालक हैं और यदि इन्हें ऑड-ईवन नियम के दायरे में रखा गया तो इन्हें दूसरे वाहनों में भेजने की व्यवस्था करना लगभग असंभव होगा.
दिसंबर 2017 में एनजीटी ने ऑड-ईवन स्कीम से दो-पहिया वाहनों को बाहर रखने की दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह दिल्ली की सड़कों को प्रदूषण मुक्त बनाने की पहल का हिस्सा है. अबतक सबको पता चल ही गया होगा कि दिल्ली की सड़कों का ठंक के मौसम में प्रदूषण से कितना बुरा हाल होता है, ऐसे में ग्रीन कोर्ट ने भी यह पाया कि ऑड-ईवन स्कीम हवा की गुण्त्ता के आधार पर बनाया गया नियम है, किसी के कहने पर नहीं.
दिल्ली सरकार और एनजीटी ने मिलकर 2015 में पहली बार इस नियम को लागू किया था और यह उस समय लागू कर दिया जाता है जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तय मानक PM10 और PM2.5 को पार कर जाता है. PM10 अगर 24 घंटे तक 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पार कर जाए और PM2.5 प्रति क्यूबिक मीटर 300 माइक्रोग्राम पार कर जाए उप स्थिति में इस नियम को लागू किया जाता है. ठंड के समय दिल्ली के आस-पास के किसान भी अपनी ज़मीन को दोबारा तैयार करने के लिए भूसे में आग लगा देते हैं, यह भी दिल्ली में बढ़ने वाली घुटन का बहुत बड़ा कारण है.
दिसंबर 2017 में एनजीटी ने ऑड-ईवन स्कीम से दो-पहिया वाहनों को बाहर रखने की दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह दिल्ली की सड़कों को प्रदूषण मुक्त बनाने की पहल का हिस्सा है. अबतक सबको पता चल ही गया होगा कि दिल्ली की सड़कों का ठंक के मौसम में प्रदूषण से कितना बुरा हाल होता है, ऐसे में ग्रीन कोर्ट ने भी यह पाया कि ऑड-ईवन स्कीम हवा की गुण्त्ता के आधार पर बनाया गया नियम है, किसी के कहने पर नहीं.
दिल्ली सरकार और एनजीटी ने मिलकर 2015 में पहली बार इस नियम को लागू किया था और यह उस समय लागू कर दिया जाता है जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तय मानक PM10 और PM2.5 को पार कर जाता है. PM10 अगर 24 घंटे तक 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पार कर जाए और PM2.5 प्रति क्यूबिक मीटर 300 माइक्रोग्राम पार कर जाए उप स्थिति में इस नियम को लागू किया जाता है. ठंड के समय दिल्ली के आस-पास के किसान भी अपनी ज़मीन को दोबारा तैयार करने के लिए भूसे में आग लगा देते हैं, यह भी दिल्ली में बढ़ने वाली घुटन का बहुत बड़ा कारण है.
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