देश के पहले 50 एलएनजी स्टेशनों की नींव रखी गई, राष्ट्रीय राजमार्गों पर होंगे स्थित
हाइलाइट्स
केंद्रिय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के पहले 50 एलएनजी स्टेशनों की नींव रखी है. यह स्टेशन प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों और गोल्डन क्वॉडरिलैटरल पर बनाए जाएंगे. सरकार ने एलएनजी के कई लाभ गिनाए हैं जैसे कि वाहनों के प्रदूषण निकलना, देश के आयात बिल में बचत और ऑपरेटरों, वाहन निर्माताओं और अन्य संस्थाओं को मिलने वाले फायदे. सरकार को उम्मीद है कि 10% ट्रक एलएनजी को ईंधन के रूप में अपनाएंगे. साथ ही यह देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद करेगा.
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सरकार की मानें तो एलएनजी परिवहन के लिए भविष्य का ईंधन होने जा रहा है, और इस संबंध में, वाहनों के रेट्रो-फिटिंग के साथ-साथ मूल उपकरणों का निर्माताओं द्वारा विकास किया जा रहा है. एलएनजी न केवल डीज़ल की तुलना में लगभग 40% सस्ती है, बल्कि इससे प्रदूषण भी बहुत कम होता है. सरकार के मुताबिक वो गोल्डन क्वॉडरिलैटरल पर हर 200-300 किलोमीटर की दूरी पर एलएनजी स्टेशन चालू करेगी और अगले तीन सालों में सभी प्रमुख सड़कों, औद्योगिक केंद्रों और खनन क्षेत्रों पर 1000 एलएनजी स्टेशन होंगे.
एलएनजी न केवल डीज़ल की तुलना में लगभग 40% सस्ती है, बल्कि इससे प्रदूषण भी कम होता है.
पहले पचास एलएनजी स्टेशन देश के तेल और गैस की बड़ी कंपनियों जैसे आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, गेल, पीएलएल, गुजरात गैस और उनकी संयुक्त उद्यम कंपनियों और सहायक कंपनियों द्वारा तैयार और शुरू किए जाएंगे. इन 50 एलएनजी स्टेशनों में से, आईओसीएल 20 एलएनजी स्टेशन तैयार करेगा, जबकि बीपीसीएल और एचपीसीएल प्रत्येक 11 एलएनजी स्टेशन तैयार करेंगे. सरकार की मानें तो एलएनजी आधारित ट्रक ऑपरेटर प्रति ट्रक लगभग रु 2 लाख रुपये प्रति वर्ष की बचत कर पाएंगे जिसके परिणाम स्वरूप एलएनजी ट्रकों की लागत लगभग 3 - 4 वर्षों में वापस हो जाएगी.