फोर्ड भारत में वापसी पर कर रही विचार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से बातचीत में है कंपनी
हाइलाइट्स
- फोर्ड के भारत में अपनी निर्माण गतिविधियों को फिर से शुरू करने की संभावना है
- एमके स्टालिन ने कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक के बारे में ट्वीट किया
- फोर्ड ने 2021 में भारत में स्थानीय स्तर पर वाहन बनाना बंद कर दिया था
फोर्ड की भारत में वापसी के बारे में साल भर में कई रिपोर्टों के बाद, ऐसा लगता है कि आखिरकार इस मामले पर कुछ आगे बढ़ा है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आज पहले ट्वीट कर राज्य के साथ अपनी तीन दशक की साझेदारी को नया करने के लिए फोर्ड अधिकारियों के साथ बैठक करने की जानकारी दी. इसके बाद पता चला कि अमेरिकी वाहन निर्माता भारत में चेन्नई के मरैमलाई नगर स्थित अपने प्लांट में अपनी प्रोडक्शन गतिविधियों को फिर से शुरू करने की संभावना तलाश रहा है. हालाँकि, ट्वीट में यह भी संकेत दिया गया है कि फोर्ड पूरी तरह से निर्यात उद्देश्यों के लिए भारत में कारों का निर्माण कर रही है और कारों के विक्रेता के रूप में कंपनी के भारत लौटने के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है.
Had a very engaging discussion with the team from @Ford Motors! Explored the feasibility of renewing Ford’s three decade partnership with Tamil Nadu, to again make in Tamil Nadu for the world!@TRBRajaa @Guidance_TN @TNIndMin #InvestInTN #ThriveInTN #LeadWithTN #DravidianModel pic.twitter.com/J2SbFUs8vv
— M.K.Stalin (@mkstalin) September 11, 2024
पिछले कुछ वर्षों में खबरें सामने आई हैं कि फोर्ड अपनी दूसरी पारी में भारत लौटने के लिए पूरी तरह तैयार है और यह जल्द ही बाजार में बिक्री के लिए अपनी कारों की पेशकश शुरू कर देगी. पिछले कुछ वर्षों में यहां तीसरी पीढ़ी की एवरेस्ट (पहले भारत में एंडेवर के रूप में बेची जाती थी) और रेंजर पिकअप ट्रक जैसे फोर्ड मॉडलों को देखा गया जिसने इस खबर के सच होने की उम्मदी बढ़ाई.
फोर्ड एवरेस्ट और रेंजर जैसे वाहनों को भारत में देखा गया है
फोर्ड इंडिया ने 2021 में स्थानीय वाहन निर्माण को बंद करने के अपने फैसले की घोषणा की, जिससे फोर्ड फिगो, फ्रीस्टाइल, एस्पायर, इकोस्पोर्ट और एंडेवर जैसे भारत में बनने वाहनों की बिक्री बंद हो गई. इसका मुख्य कारण इसके वाहनों की घटती बिक्री थी, जिससे ब्रांड के लिए यहां स्थानीय स्तर पर अपने वाहनों का निर्माण करना लाभदायक नहीं रह गया था. जब यह भारतीय बाजार से बाहर निकली, तो कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से भी कम थी और कथित तौर पर भारत में 10 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का परिचालन घाटा हुआ था.
कंपनी की साणंद प्लांट को टाटा मोटर्स की ईवी सहायक कंपनी टाटा पैसेंजर मोबिलिटी लिमिटेड (टीपीईएमएल) ने रु.725.7 करोड़ के सौदे में खरीदा था. कार निर्माता ने जनवरी 2023 में अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी कर ली थी. जनवरी 2024 में बड़े बदलाव करने के बाद, टाटा ने घोषणा की कि यात्री वाहनों का निर्माण शुरू हो गया है. इस प्लांट ने टाटा की कुल यात्री वाहन निर्माण क्षमता में प्रति वर्ष 3 लाख अतिरिक्त वाहन निर्माण क्षमता जोड़ी.