इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को सरकार ने दिया नया बढ़ावा, पीएम ई-ड्राइव योजना का किया ऐलान
हाइलाइट्स
- योजना में ई-वाउचर भी शामिल हैं और ईवी खरीद प्रक्रिया को आसान किया गया है
- इलेक्ट्रिक कारों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर भी लगाए जाएंगे
- पुराने ट्रकों को हटाकर ई-ट्रक खरीदने पर अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा
त्यौहारी खुशियां देते हुए, केंद्र ने देश में इलेक्ट्रिक गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए 'पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना' को अमल में लाते हुए भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. योजना के अनुसार, रु. 3,679 करोड़, इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया, एम्बुलेंस, ट्रक और अन्य उभरते ईवी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और सब्सिडी के रूप में दिये जाएंगे.
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इस योजना का दो वर्षों की अवधि में रु,10,900 करोड़ का खर्चा है
सरकार के मुताबिक, यह योजना 24.79 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों को सपोर्ट करेगी. भारी उद्योग मंत्रालय योजना के तहत मांग प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए ईवी खरीदारों के लिए ई-वाउचर भी पेश करेगा. इसके बाद ओईएम को दिए गए प्रोत्साहनों के भुगतान का दावा करना होगा. इस योजना में इलेक्ट्रिक कारों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1800 फास्ट चार्जर और इलेक्ट्रिक दो और तीन पहिया वाहनों के लिए 48,400 फास्ट चार्जर लगाने का भी प्रस्ताव है.
इस योजना के एक हिस्से के रूप में फास्ट चार्जरों की संख्या में काफी वृद्धि होगी
इस योजना में रु. 4,391 करोड़ की राशि से पूरे देश में सार्वजनिक परिवहन के लिए 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए भी प्रावधान किया गया है. 40 लाख से अधिक आबादी वाले 9 शहरों में यह बसें जोड़ी जाएंगी. इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद शामिल हैं. राज्यों के परामर्श से इंटरसिटी और इंटरस्टेट ई-बसों को भी समर्थन दिया जाएगा.
उन मामलों में प्राथमिकता दी जाएगी जहां पुरानी बसों को अधिकृत स्क्रैपिंग केंद्रों के माध्यम से स्क्रैप किया गया है
इसके अलावा रु.500 करोड़ इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किए गए हैं, जहां उन लोगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा जिनके पास MoRTH स्वीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्रों (RVSF) से स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र है. इसके अतिरिक्त, यह योजना ई-एम्बुलेंस के लिए भी रु.500 करोड़ आवंटित करती है. अंत में, एमएचआई के तत्वावधान में रु.780 करोड़ की लागत के साथ परीक्षण एजेंसियों के बदलावों को भी मंजूरी दी गई है.