प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के हरियाणा वाले हिस्से का उद्घाटन किया
हाइलाइट्स
- 19 किलोमीटर का खंड ₹4,100 करोड़ की लागत से बनाया गया है
- दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यातायात में सुधार होगा
- ऑटोमेटिक टोल कलेक्शन की मिलेगी सुविधा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गुरुग्राम में बहुप्रतीक्षित द्वारका एक्सप्रेसवे के हरियाणा वाले हिस्से का उद्घाटन किया. आठ लेन वाला हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे भारत का पहला एलिवेटेड हाईवे है, और इससे दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यातायात प्रवाह में सुधार और भीड़ कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है. हरियाणा सेक्शन में दो पैकेज दिल्ली-हरियाणा सीमा से बसई आरओबी (10.2 किमी) और बसई आरओबी से खेड़की दौला (क्लोवरलीफ इंटरचेंज) (8.7 किमी) तक शामिल हैं.
एक्सप्रेसवे देश का पहला एलिवेटेड शहरी एक्सप्रेसवे और आठ लेन वाला पहला सिंगल-पिलर फ्लाईओवर है. पूरे हिस्से को लगभग ₹9,000 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है. एक्सप्रेसवे का लगभग 19 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में पड़ता है, जबकि बाकी 10 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में है. इसके अलावा हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर शिव-मूर्ति से शुरू होता है, और दिल्ली में द्वारका सेक्टर 21, गुरुग्राम सीमा और बसई से गुजरते हुए खेड़की दौला टोल प्लाजा के पास समाप्त होता है. इसमें चार बहु-स्तरीय इंटरचेंज होंगे, जैसे सुरंग या अंडरपास, एक ग्रेड रोड सेक्शन, एक एलिवेटेड फ्लाईओवर और फ्लाईओवर के ऊपर एक फ्लाईओवर शामिल है.
एक ही पिलर पर आठ लेन की 9 किलोमीटर लंबी, 34 मीटर चौड़ी एलिवेटेड रोड देश में अपनी तरह की पहली सड़क है. इस विस्तार में भारत की सबसे लंबी (3.6 किलोमीटर) और सबसे चौड़ी (आठ-लेन) शहरी सड़क सुरंग भी शामिल है. इसके एक बार पूरा होने पर, यह दिल्ली के द्वारका सेक्टर 25 में आगामी इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (आईआईसीसी) तक सीधी पहुंच भी देगा. इसके अलावा एक्सप्रेसवे एक टनल के माध्यम से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए एक वैकल्पिक कनेक्शन भी देगा.
यह द्वारका सेक्टर - 88, 83, 84, 99, 113 को सेक्टर-21 के साथ-साथ गुरुग्राम जिले में प्रस्तावित ग्लोबल सिटी से जोड़ता है. यही नहीं एक्सप्रेसवे में बेहतरीन सुरक्षा तंत्र हैं, और टोल कलेक्शन पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगा, और पूरी परियोजना एक कुशल परिवहन सिस्टम (आईटीएस) से सुसज्जित होगी.
निर्माण चार चरणों में निर्धारित किया गया है. पहला, दिल्ली क्षेत्र में महिपालपुर में शिव मूर्ति से बिजवासन तक (5.9 किमी), दूसरा, बिजवासन आरओबी से गुरुग्राम में दिल्ली-हरियाणा सीमा तक (4.2 किमी), तीसरा, हरियाणा क्षेत्र में दिल्ली-हरियाणा सीमा से बसई आरओबी तक (10.2 किमी) ), और चौथा बसई आरओबी से खेड़की दौला (क्लोवरलीफ़ इंटरचेंज) (8.7 किमी) तक शामिल है.
कुल निर्माण के लिए, 2 लाख मीट्रिक टन स्टील (एफिल टॉवर में प्रयुक्त स्टील का 30 गुना) और 20 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट (बुर्ज खलीफा में प्रयुक्त कंक्रीट का 6 गुना) की खपत होने का अनुमान है.