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रफ्तार की सौदागर फेरारी 296 GTB पर जयपुर से दिल्ली का रोमांचक सफर

हमने फेरारी वीकेंडर के लिए जयपुर के लिए उड़ान भरी, जहां मौज-मस्ती, फुड और तेज़ रफ्तार कारों के वीकेंड के लिए फेरारी मालिक इकठ्ठे हुए थे.
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द्वारा ध्रुव अत्री

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प्रकाशित नवंबर 3, 2023

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Story

हाइलाइट्स

    पिछले कई दशकों में लाखों युवाओं के सपनों और दीवारों पर पोस्टर में लाल रंग में तैयार फेरारी शामिल रही है, और जयपुर में फेरारी वीकेंडर पर रविवार की दोपहर को मेरे पास वास्तव में इस सपने को जीने का मौका था. वहाँ फेरारी कारों की एक लंबी कतार थी जिसे आप हमारे इंस्टाग्राम हैंडल पर देख सकते हैं, लेकिन मेरी नज़र एक खास कार पर टिकी थी, जो चमकदार लाल रंग में तैयार फेरारी 296 जीटीबी थी जिसे फेरारी भाषा में रोसो कोर्सा कहा जाता है.

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    कम से कम ₹90 करोड़ की कारें

     

    जब कार खड़ी थी तो मैं उसके साथ ज्यादा समय नहीं बिता सका क्योंकि वह शूटिंग में व्यस्त थी, लेकिन बेहद लंबे इंतजार के बाद इस 819 बीएचपी ताकत वाले रॉकेट को दिल्ली की ओर ले जाने का मौका मिला. इसलिए, मैंने इसके साथ सड़क पर काफी समय बिताया.

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    296 जीटीबी रोसो कोर्सा शेड में थी

     

    हमने इसका टैंक 95 ऑक्टेन फ्यूल से भरकर शुरुआत की. हमें 100 ऑक्टेन पेट्रोल से फ्यूल भरना चाहिए था, लेकिन यहां अगली सबसे अच्छी बात यह थी क्योंकि हम जयपुर हाईवे के बीच में थे. मेरे पहले कुछ किलोमीटर इतने धीमे थे कि "मेरी दादी उससे तेज़ गाड़ी चला लेती" मज़ाकिया लहज़े में. मैं अपने दाहिने पैर को कसकर बांध रहा था और धीरे से थ्रॉटल को सहला रहा था क्योंकि वेट मोड में भी जहां सभी इलेक्ट्रॉनिक चीज़े एक्टिव हैं, यह आपको डरा सकती है.

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    296 GTB 2.9 सेकंड में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है

     

    जैसा कि कहा गया है, मेरा ध्यान कार की वजह से नहीं, बल्कि भारतीय हाईवे पर ट्रैफिक के कारण उसी ओर था, और बेहद आकर्षक दिखने वाली लाल रंग की फेरारी चलाने से आपकी परेशानियां और भी तब बढ़ती हैं, जब सड़कें अच्छी नहीं होती हैं और यह रोड पर अपने सबसे शानदार प्रदर्शन का मुज़ायरा नहीं कर पाती है. 819 बीएचपी हॉर्सपावर ताकत के बावजूद आप बस सामने की सड़क खाली होने का इंतजार कर सकते हैं जो थोड़ा बहुत मायूसी भरा है.

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    राहगीरों के पास से गुजरती हुई फेरारी को अपने कैमरा में कैद करने के लिए फोन तैयार थे

     

    यहां फ़ेरारी मालिकों का एक काफिला था जो एक घंटे पहले निकल गया था और मैंने उन्हें पकड़ने का कभी इरादा नहीं किया था. इसलिए बीएमडब्ल्यू एक्स1, हमारी सहायक कार, जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, के अलावा मेरे पीछे कोई नहीं था, जो मुझसे काफी पीछे थी. इस यात्रा के ज्यादातर हिस्से में मेरे साथ मैं, धूल भरी पुरानी सड़क और 296 GTB ही थी. कठोर सस्पेंशन सेटअप, बेहद सटीक स्टीयरिंग और स्पोर्टी सीटों का मतलब था कि मैं पूरे रास्ते रेड अलर्ट पर गाड़ी चला रहा था.

     

    मुझे आश्चर्य हुआ कि सड़कें उतनी ख़राब नहीं थीं जितनी मैंने उम्मीद की थी. स्पीड ब्रेकरों को पार करने और कुछ गड्ढों से बचने के अलावा, मुझे स्पीड धीमी नहीं करनी पड़ी. चूँकि मैंने राजमार्ग नहीं छोड़ा, इसलिए मैंने एक बार भी लिफ्ट फ़ंक्शन का उपयोग नहीं किया.

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    एग्जॉस्ट नोट की आवाज़ बड़ी क्षमता वाली फेरारी से कम नहीं है

     

    दौसा से ठीक पहले, एक टनल है जहाँ मैंने अपनी खिड़कियाँ नीचे कर लीं और मैनेटिनो को हाइब्रिड से रेस मोड में बदल दिया. उस शानदार V6 को सुनने के लिए मैंने पैडल शिफ्टर्स को डाउनशिफ्ट किया. इसके इंजन को फेरारी पिकोलो V12 भी कहते हैं, जिसका अर्थ है 'छोटा V12'. 6 सिलेंडर इंजन होने के बावजूद, 296 GTB का एग्जॉस्ट नोट एक शानदार आवाज़ देता है. मैंने अपना पैर तब तक नहीं हटाया जब तक मैंने यह नहीं सुन लिया कि धुंआ चरम सीमा तक पहुंच गया है. मुझे यकीन है कि साथी सड़क पर कार चलाने वाले लोगों को उस रविवार दोपहर को इतालवी ओपेरा म्यूज़िक का मज़ा मिला होगा.

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    दिल्ली से मुंबई एक्सप्रेसवे ने 296 जीटीबी को चलाने के लिए पर्याप्त स्पेस की पेशकश की

     

    इस गहन अनुभव के बाद मैं हाइब्रिड मोड में वापस आ गया और हमारे कैमरापर्सन से मिलने के लिए अपने रास्ते पर चला गया, जो नए बने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर मेरा इंतजार कर रहे थे. हालांकि, एक्सप्रेसवे पर एंट्री भी कम नाटकीय नहीं थी. टोल गेट पर लोगों की भारी भीड़ के बीच एक अजीब महिला ने मुझसे लिफ्ट मांगी. यह उसका भाग्यशाली दिन नहीं था और न ही मैं कोई बड़ा जोखिम लेने वाला हूं. लेकिन उसकी उम्मीद को सलाम.

     

    एक बार एक्सप्रेसवे पर मैंने फ़ेरारी पर लंबे पैर फैलाए. मैं उम्मीद कर रहा था कि तेज़ लेन में धीमी गति से चलने वाले ड्राइवर इस अग्रेसिव, लाल उछलते घोड़े को रास्ता देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चूंकि उनका अहम मेरे इंजन की क्षमता से बड़ा था, इसलिए मुझे 8-लेन (प्रत्येक तरफ 4) एक्सप्रेसवे पर तीन अन्य लेन में से एक से उन्हें ओवरटेक करना पड़ा.

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    एक यादगार यात्रा का एक बहुत ही यादगार अंत हुआ

     

    कैमरापर्सन से मिलते हुए, हमने जो कुछ भी संभव था वह शूट किया क्योंकि कार ने राजमार्ग पर लगभग हर दूसरी कार को आकर्षित किया था. आख़िर में हम दिल्ली की बाकी यात्रा के लिए कार को एक फ़्लैटबेड पर रखने के लिए मानेसर टोल बूथ से लगभग 30 किमी दूर रुके. ड्राइवर सीट से बाहर निकलना मेरे दुबले शरीर के लिए मुश्किल नहीं था, लेकिन मेरे दिल के लिए था. मेरे सीने में धड़कन जोरदार थी लेकिन मैं इसे किसी अन्य तरीके से नहीं सह सकता था.
     

    हिन्दी अनुवाद: ऋषभ परमार 

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